इसरो (ISRO) के चेयरमैन के सिवन ने कहा है कि अभी चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम से हमारा संपर्क बेशक टूट गया है, लेकिन अगले 14 दिनों के अंदर लैंडर से दोबारा संपर्क साधने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि लैंडिंग के आखिरी चरण को सही तरीके से पूरा नहीं किया जा सका. आखिरी चरण में सिर्फ लैंडर से हमारा संपर्क टूट गया और संचार नहीं हो पाया.
भारतीयों के चेहरे पर छायी मायूसी के बीच इस तरह की कोशिश एक नयी उम्मीद जगा रही है. इसके साथ ही सिवन ने कहा कि वैज्ञानिक अब भी मिशन चंद्रयान 2 के काम में जुटे हुए हैं.
मालूम हो कि मिशन के अंजाम तक नहीं पहुंच पाने पर जहां देश ही नहीं, पूरी दुनिया में लोगों में निराशा है. चंद्रमा के सफर पर निकले भारत के चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम के चांद पर उतरते समय उसकी सतह से मात्र 2.1 किमी दूरी पर आकर जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया. इसपर प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को सांत्वना दी.
इस बारे में के सिवन ने कहा कि प्रधानमंत्री हम सभी के प्रेरणास्रोत हैं. उनके संबोधन से हमें प्रेरणा मिली है. उनके संबोधन में मैंने जो एक शब्द गौर किया वह था- विज्ञान को रिजल्ट के नजरिये से नहीं देखना चाहिए बल्कि शोध के नजरिये से देखा जाना चाहिए. शोध ही हमें रिजल्ट तक पहुंचाएंगे.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन ने कहा, विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा. इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया. आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है.
इससे पहले चंद्रयान 2 मिशन पर इसरो ने बयान जारी करबताया कि हर फेज के लिए सफलता का मानक तय था. अभी तक 90 से 95 फीसदी उद्देश्यों को पूरा किया जा चुका है और यह चांद से जुड़ी जानकारी हासिल करने में मदद करेगा.
इसरो ने बताया कि उम्मीदें अभी कायम हैं. इसरो अभी हिम्मत नहीं हारा है वैज्ञानिकों के हौसले पूरी तरह से अब भी बुलंद हैं.
गौतलब है कि चंद्रयान 2 के तीन हिस्से थे – ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान. फिलहाल लैंडर और रोवर से संपर्क भले ही टूट गया है, लेकिन ऑर्बिटर की उम्मीदें अभी कायम हैं.
लैंडर और रोवर को दो सितंबर को ऑर्बिटर से अलग किया गया था. ऑर्बिटर इस समय चांद सेलगभग 100 किलोमीटर ऊंची कक्षा में चक्कर लगा रहा है.
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