मुंबई : बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर के फिल्मी करियर को देखा जाए तो यह सोच पाना मुश्किल है कि उनका सपना स्विट्जरलैंड की बर्फ से ढकी पहाड़ों में हिंदी सिनेमा की अभिनेत्रियों की तरह नाचना गाना था.
भास्कर अपने इस सपने को पूरा करने के लिए टीवी पर दूरदर्शन देखा करती थीं और बाद में फिल्मी उद्योग में आईं और यहां पहले से बनी-बनाई एक तरह की सोच को चुनौती देना शुरू किया. स्वरा भास्कर के अभिनय की तारीफ ‘तनु वेड्स मनु’ ‘रांझणा’ और ‘निल बट्टे सन्नाटा’ जैसी फिल्मों के लिए हो चुकी है.
भास्कर ने कहा कि उनकी यह यात्रा कठिन और मेहनत से भरी रही है, लेकिन यह कुछ ऐसा है कि जिसने उन्हें गढ़ा है. उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि जेएनयू की एक छात्रा यहां कैसे पहुंची. मेरा मानना है कि यह बॉलीवुड का आकर्षण है. हम जब बड़े हो रहे थे तो यह हमारे केंद्र में था.
भास्कर ने स्नातक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस और मास्टर डिग्री जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से हासिल की है. जेएनयू से ही उन्होंने नुक्कड़ नाटक भी करना शुरू किया. उन्होंने कहा कि ‘बॉलीवुड के हिसाब से मैं सही पसंद नहीं थी.’ अभिनेत्री ने याद करते हुए कहा कि जब पहली बार उनका मेकअप हुआ तो वह ऑटो में रोने लगी थी.
भास्कर लगातार सरकार के खिलाफ भी अपनी आवाज उठाती रहती हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से अपनी बातों को लेकर मुखर होने की एक कीमत अदा करनी होती है.
उन्होंने कहा, निश्चित रूप से यह मेरे काम को प्रभावित करता है. मैं जानती हूं कि मुझे उतनी ज्यादा मुख्यधारा की फिल्में नहीं मिलती है, जितनी मिलनी चाहिए. हालांकि किसी ने मुझे विवादित होने के आधार पर काम देने से मना नहीं किया. अगर वह आपस में इस पर चर्चा करते हैं तो मुझे नहीं पता.
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