नयी दिल्ली : पश्चिमी दिल्ली में उत्तम नगर स्थित कुम्हार ग्राम में रहने वाले कुम्हार परिवार दिवाली से पहले पूरी तैयारी में थे और वे इस त्यौहारी मौसम में होने वाली बिक्री का लाभ उठाना चाहते थे लेकिन इस बार कारोबार कमजोर है. कॉलोनी में तीसरी पीढ़ी के कुम्हार हरिओम इसके लिए महंगाई को जिम्मेदार ठहराते हैं. 52 वर्षीय हरिओम कहते हैं कि दीयों की कीमत बढ़ने से ग्राहक सस्ती ‘चाइनीज लाइट’ अधिक पसंद कर रहे हैं.
उन्होंने 2,000 दीयों के ऑर्डर की पुष्टि करने के बाद कहा, ‘हमें होली और दिवाली के दौरान अच्छा कारोबार मिलता था लेकिन पिछले साल से बिक्री में 40 प्रतिशत की गिरावट आयी है और ग्राहक चीनी लाइट जैसे सस्ते विकल्प पसंद करते हैं.’ हरिओम का परिवार कुम्हार ग्राम में रहने वाले 700 परिवारों में से एक है. इन परिवारों में से अधिकांश मूल रूप से हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के गांवों के रहने वाले हैं.
वर्ष के बाकी समय में ये लोग मिट्टी के घड़े, बर्तन, फव्वारे और अन्य सजावटी सामान बेचते हैं लेकिन इनकी आय बहुत कम है. कुम्हार ग्राम के एक अन्य कुम्हार दीपक कुमार भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्षरत हैं और परिवार में कई सदस्य हैं जिनका भरण पोषण करना है लेकिन आमदनी बहुत कम है. 18 वर्षीय दीपक कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र भी हैं.
उन्होंने कहा, ‘किसी सजावटी सामान के निर्माण में करीब 70 रुपये की लागत आती है और हम उसे 100 रुपये में बेचते हैं. चूंकि परिवार के सभी आठ सदस्य यह काम करते हैं इसलिए लाभ के नाम पर बहुत अधिक नहीं बचता.’ इन कुम्हारों से लोग फुटकर में मिट्टी के बरतन खरीदते हैं, लेकिन मुख्य रूप से रेहड़ी वाले इनसे मिट्टी के बने सामान बड़े पैमाने पर खरीदते हैं जो आवासीय इलाकों में जा कर बेचते हैं.
थोक खरीददारी में भी गिरावट दर्ज की गयी है. कुम्हार और विक्रेता दोनों के दावे हैं कि नगर निगमों द्वारा शहर में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाये जाने से फेरीवालों के लिए इन उत्पादों को बेचना मुश्किल हो गया है. इससे दोनों को नुकसान हुआ है. जनकपुरी के एक फेरीवाले ने, 21 वर्षीय नजीम ने बताया कि उसने पिछले साल दिवाली से पहले दस दिनों में 4,000 रुपये की आमदनी की थी लेकिन इस बार मुश्किल से 300 रुपये मिल पाये हैं.
उन्होंने कहा, ‘किसी एक स्थान पर बहुत अधिक समय तक खड़ा रहना मुश्किल हो गया है, कोई भी आकर वहां से जाने के लिए कह देता है. यदि किसी ग्राहक को यह पता नहीं होगा कि हम कहां खड़े होते हैं तो हम अपना व्यवसाय कैसे कर पायेंगे.’ त्योहार के मौसम में मिट्टी के उत्पादों के अन्य बाजार जो रौनक होते हैं उनमें मालवीय नगर में हौज रानी बाजार और सरोजनी नगर में मटका बाजार शामिल है.
हालांकि इन बाजारों में ग्राहकों की संख्या कम है. एक ग्राहक ने कहा, ‘प्रत्येक छोटे दीये की कीमत 10 रुपये है. एक बार इस्तेमाल होने वाले किसी वस्तु पर इतना अधिक खर्च करना अधिक है.’
Agni Prime Missile : पहली बार रेल लॉन्चर से परीक्षण, मिसाइल भेद सकती है 2,000 किलोमीटर तक के टारगेट को
Watch Video: पानी में डूबे घर, टूटी सड़कें, उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही का नया वीडियो आया सामने
Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड में कुदरत का कहर, अब तक 4 की मौत, सीएम धामी ने नुकसान का लिया जायजा
Heavy Rain Warning: अगले 3 से 4 घंटों के दौरान हिमाचल में भयंकर बारिश की संभावना, IMD अलर्ट जारी