31 अक्तूबर को देश के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जंयती मनायी जाती है. इस बार हम देश के लौह पुरुष की 144वीं जयंती मना रहे हैं. सरदार पटेल ने 562 रियासतों का विलय कर भारत को एक राष्ट्र बनाया था.
भारत का जो नक्शा ब्रिटिश शासन में खींचा गया था, उसकी 40 प्रतिशत भूमि इन देशी रियासतों के पास थी. आजादी के बाद इन रियासतों को भारत या पाकिस्तान में विलय या फिर स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया गया था.
सरदार पटेल ने अपनी दूरदर्शिता और कूटनीति की बदौलत इन रियासतों का भारत में विलय कराया था. यही वजह है कि वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है.
31 अक्तूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे वल्लभ भाई ने करमसद में प्राथमिक विद्यालय और पेटलाद स्थित उच्च विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी.
वल्लभ भाई की शादी झबेरबा से हुई. वह जब सिर्फ 33 साल के थे, तब उनकी पत्नी का निधन हो गया था.
वल्लभ भाई पढ़ाई में काफी तेज थे. उन्होंने अधिकांश ज्ञान खुद से पढ़ कर ही अर्जित किया. 36 साल की उम्र में सरदार पटेल वकालत पढ़ने के लिए इंग्लैंड गये. उनके पास कॉलेज जाने का अनुभव नहीं था, फिर भी उन्होंने 36 महीने के वकालत के कोर्स को महज 30 महीने में ही पूरा कर लिया.
वल्लभ भाई पटेल ने अहमदाबाद में एक वकील के रूप में कानूनकी प्रैक्टिस शुरू की. खेड़ा सत्याग्रह का नेतृत्व करने के लिए पटेल को अपनी पसंद बताते हुए कहा महात्मा गांधी ने कहा था- कई लोग मेरे पीछे आने के लिए तैयार थे, लेकिन मैं अपना मन नहीं बना पाया कि मेरा डिप्टी कमांडर कौन होना चाहिए. फिर मैंने वल्लभ भाई के बारे में सोचा.
सन 1928 में वल्लभ भाई पटेल ने गुजरात में बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व किया. प्रांतीय सरकार ने लगान में 30 फीसदी वृद्धि कर दी थी, जिससे किसान बड़े परेशान थे. वल्लभ भाई पटेल ने सरकार की मनमानी का कड़ा विरोध किया. विवश होकर सरकार को झुकना पड़ा और किसानों की मांगें पूरी करनी पड़ी. बारडोली सत्याग्रह की सफलता के बाद वल्लभ भाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि मिली. 1931 में पटेल को कांग्रेस के कराची अधिवेशन का अध्यक्ष चुना गया.
सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलय करा भारतीय एकता का निर्माण करना. विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो.
कहते हैं कि सरदार पटेल के पास खुद का मकान भी नहीं था. वे अहमदाबाद में किराये के एक मकान में रहते थे. 15 दिसंबर 1950 में मुंबई में जब उनका निधन हुआ, तब उनके बैंक खाते में सिर्फ 260 रुपये थे.
सरदार पटेल के निधन के 41 वर्ष बाद 1991 में भारत के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारतरत्न से उन्हें नवाजा गया.
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