अयोध्या मामला : न्यायालय के इतिहास में शनिवार को आया पहला फैसला!

नयी दिल्ली : राजनीतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील अयोध्या मामले पर आया फैसला एक से ज्यादा मायनों में ऐतिहासिक है क्योंकि शीर्ष अदालत के 69 साल के इतिहास में शनिवार को सुनाया जाने वाला संभवत: यह पहला फैसला है.... शीर्ष अदालत के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि न्यायमूर्ति सोमवार से शुक्रवार तक सप्ताह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 9, 2019 10:11 PM
an image

नयी दिल्ली : राजनीतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील अयोध्या मामले पर आया फैसला एक से ज्यादा मायनों में ऐतिहासिक है क्योंकि शीर्ष अदालत के 69 साल के इतिहास में शनिवार को सुनाया जाने वाला संभवत: यह पहला फैसला है.

शीर्ष अदालत के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि न्यायमूर्ति सोमवार से शुक्रवार तक सप्ताह में पांच दिन मुकदमों की सुनवाई करते हैं. विशेष परिस्थितियों में न्यायालय में शनिवार और अन्य अवकाश के दिनों में भी सुनवाई होती है. लेकिन संभवत: यह पहली बार था जब भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने शनिवार को इतना महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है.

प्रधान न्यायाधीश के पीपीएस एचके जुनेजा ने कहा, विशेष परिस्थितियों में न्यायालय में शनिवार, रविवार और यहां तक की रात में भी सुनवाई हुई है. लेकिन, मुझे यह याद नहीं है कि कभी कोई फैसला शनिवार को सुनाया गया है, संभवत: यह उन दुर्लभ पलों में से एक है.

उन्होंने छह दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाने से जुड़ी एक घटना को याद करते हुए कहा कि जब भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एमएन वेंकटचलैया ने शाम को अपने आवास पर विशेष बैठक की थी, जिसमें शीर्ष अदालत ने 16वीं सदी की मस्जिद की रक्षा करने का वादा नहीं निभा पाने को लेकर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की आलोचना भी की थी.

सदी से भी ज्यादा पुराने इस विवाद पर शनिवार को फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या की विवादित जमीन पर सरकार की ओर से गठित न्यास की निगरानी में राम मंदिर बनाने को कहा और साथ ही कहा कि अयोध्या में ही मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन खोजी जाए.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया. पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाये, हालांकि इसका कब्जा केंद्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version