निर्भया मामला : CJI ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

नयी दिल्ली : प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने दिसंबर, 2012 में हुए निर्भया बलात्कार और हत्याकांड में दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले के खिलाफ एक मुजरिम अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया.... प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2019 5:25 PM
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नयी दिल्ली : प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने दिसंबर, 2012 में हुए निर्भया बलात्कार और हत्याकांड में दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले के खिलाफ एक मुजरिम अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया.

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की विशेष पीठ के समक्ष अक्षय की पुनर्विचार याचिका विचार के लिए आते ही प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इसकी सुनवाई दूसरी उचित पीठ करेगी. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उनके एक रिश्तेदार इस मामले में पीड़ित की मां की ओर से पहले पेश हो चुके हैं और ऐसी स्थिति में उचित होगा कि कोई अन्य पीठ पुनर्विचार याचिका पर बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे विचार करे. अक्षय के वकील एपी सिंह ने बहस शुरू करते हुए कहा कि यह मामला राजनीति और मीडिया के दबाव से प्रभावित रहा है और दोषी के साथ घोर अन्याय हो चुका है.

अक्षय ने दया का अनुरोध करते हुए दलील दी है कि वैसे भी दिल्ली में बढ़ते वायु और जल प्रदूषण की वजह से जीवन छोटा होता जा रहा है. शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ जुलाई को इस मामले के तीन दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की पुनर्विचार याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी थीं कि इनमें 2017 के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं है. दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर 2012 की रात में 13 वर्षीय छात्रा के साथ चलती बस में छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी करके सड़क पर फेंक दिया था. इस छात्रा की बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर में माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी.

इस मामले के छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी, जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनायी थी.। इस आरोपी को सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद रिहा कर दिया गया था.

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