नयी दिल्ली : कांग्रेस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हिंसा की घटना को लेकर सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर 90 साल बाद ‘नाजी शासन’ की याद दिलाने का आरोप लगाया और कहा कि इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए.
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जेएनयू परिसर में हुई हिंसा की निंदा करते हुए दावा किया कि मोदी सरकार विरोध की आवाज को दबाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. सोनिया ने एक बयान में कहा, भारत के युवाओं और छात्रों की आवाज हर दिन दबायी जा रही है. भारत के युवाओं पर भयावह एवं अप्रत्याशित ढंग से हिंसा की गयी और ऐसे करने वाले गुंडों को सत्तारूढ़ मोदी सरकार की ओर से उकसाया गया है. यह हिंसा निंदनीय और अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा, पूरे भारत में शैक्षणिक परिसरों और कॉलेजों पर भाजपा सरकार से सहयोग पाने वाले तत्व एवं पुलिस रोजाना हमले कर रही है. हम इसकी निंदा करते हैं और स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग करते हैं.
सोनिया ने कहा, जेएनयू में छात्रों एवं शिक्षकों पर हमले इस बात का प्रमाण हैं कि यह सरकार विरोध के हर स्वर को दबाने के लिए किसी भी हद तक जायेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस देश के युवाओं और छात्रों के साथ खड़ी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने जेएनयू की घटना को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया और कहा कि इस मामले में दिल्ली के पुलिस आयुक्त को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. पूर्व गृह मंत्री ने यह भी कहा कि जवाबदेही की परिधि में गृह मंत्री अमित शाह भी आते हैं.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, मोदी जी और अमित शाह जी ने छात्रों पर दमन चक्र चलाकर नाजी शासन की याद 90 साल बाद दिला दी. जिस तरह से छात्रों, छात्राओं और शिक्षकों पर हमला किया गया और जिस प्रकार पुलिस मूकदर्शक बनी रही, वह दिखाता है कि देश में प्रजातंत्र का शासन नहीं बचा है. उन्होंने कहा, युवा प्रजातंत्र और संविधान पर हमले के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो उनकी आवाज दबायी जाती है. जान लीजिये मोदीजी युवाओं की आवाज नहीं दबने वाली है. सरकार प्रायोजित आतंकवाद और गुंडागर्दी नहीं चलने वाली है.
सुरजेवाला ने कहा, सरकार प्रायोजित आतंकवाद और गुंडागर्दी के लिए अमित शाह जिम्मेदार हैं. अमित शाह जी, आपकी किसी जांच पर भरोसा नहीं है क्योंकि इस गुंडागर्दी को आपका संरक्षण हासिल था. उन्होंने कहा, हमारी मांग है कि न्यायिक जांच हो. उच्चतम न्यायालय अथवा दिल्ली उच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायधीश से जांच करायी जाये. इसी से सच्चाई सामने आयेगी. गौरतलब है कि जेएनयू परिसर में रविवार रात उस वक्त हिंसा भड़क गयी थी, जब लाठियों से लैस कुछ नकाबपोश लोगों ने छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला कर दिया था और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था. इसके बाद प्रशासन को पुलिस को बुलाना पड़ा था. इस हमले में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष सहित कम से कम 28 लोग घायल हुए. वाम नियंत्रित जेएनयूएसयू और आरएसएस से संबद्ध एबीवीपी इस हिंसा के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
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