उन्होंने कहा कि ये सारे अवॉर्ड्स आखिरी मुकाम नहीं हैं, यह एक प्रकार से जिंदगी की शुरुआत है. आपने मुश्किल परिस्थितियों से लड़ने का साहस दिखकर कमाल किया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि ज्यादातर हम अधिकार पर बल देते हैं लेकिन मैंने लाल किले से कहा था कि कर्तव्य पर बल देने की जरूरत है. आप अपने समाज के प्रति, राष्ट्र के प्रति अपनी ड्यूटी के लिए जिस प्रकार से जागरूक हैं, ये देखकर गर्व होता है.
आगे पीएम मोदी ने बच्चों से कहा कि आप सब कहने को तो बहुत छोटी आयु के हैं, लेकिन आपने जो काम किया है उसको करने की बात तो छोड़ दीजिए, उसे सोचने में भी बड़े-बड़े लोगों के पसीने छूटने लगेंगे. आप युवा साथियों के साहसिक कार्यों के बार में जब भी मैं सुनता हूं तो मुझे भी प्रेरणा मिलती है. आप जैसे बच्चों के भीतर छिपी प्रतिभा को प्रोत्साहित करने के लिए ही इन राष्ट्रीय पुरस्कारों का दायरा बढ़ाने का काम किया गया है.
उन्होंने कहा कि एक बार एक आदमी ने मुझसे पूछा कि आपके चेहरे पर इतना तेज कैसे है ? इसपर मैंने कहा मेरे शरीर से बहुत पसीना निकलता है और मैं उसे चेहरे पर मल लेता हूं. इसी से मेरे चेहरे पर तेज दिखता है. साहस हमारे स्वभाव में होना चाहिए. साहस के बिना जीवन कतई संभव नहीं है.