नयी दिल्ली/वड़ोदरा : चीन में करोना वायरस की चपेट में आने से 100 से ज्यादा लोगों की मौत और इससे जुड़े मामलों के लगातार बढ़ने के बीच भारत इस बीमारी के केंद्र वुहान से भारतीयों को निकालने की योजना बना रहा है. वहां फंसे अधिकांश भारतीय छात्र हैं.
इस बीच हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि देश में अब तक कोरोना वायरस के एक भी मामले की पुष्टि नहीं हुई है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विदेश मंत्रालय ने वुहान से भारतीयों को निकालने का औपचारिक अनुरोध चीन से किया है. इसमें कहा गया कि चीनी अधिकारियों की मंजूरी मिलने के बाद नागर विमानन मंत्रालय आवश्यक इंतजाम करेगा. बीजिंग में भारतीय दूतावास भारतीय नागरिकों के संपर्क में है. भारत ने खतरनाक माने जा रहे नए कोरोना वायरस (एनसीओवी) संक्रमण के संभावित संपर्क में आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की सुविधा अब सात से बढ़ाकर 20 हवाईअड्डों पर कर दी है.
इसके साथ ही पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु रोग संस्थान के अलावा चार और प्रयोगशालाओं में इसकी जांच की सुविधा शुरू की गयी है जिससे इस विषाणु के प्रसार पर नजर रखी जा सके. चीन के विभिन्न प्रांतों में इस विषाणु के लगातार प्रसार को देखते हुए गुजरात समेत विभिन्न भारतीय राज्यों के छात्रों ने वहां से लौटने की इच्छा व्यक्त की है. गुजरात के वड़ोदरा हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा, भारतीय दूतावास लगातार चीन की सरकार के साथ संपर्क में है. वुहान से छात्रों और भारतीयों को निकालने के लिए हम वहां विमान भेजने की योजना बना रहे हैं. हमारा प्रयास उन्हें वापस लाने का है. इसमें कुछ दिन लगेंगे. मैं लोगों से इस संबंध में सरकार पर विश्वास करने का अनुरोध करता हूं.
उन्होंने कहा, कोई भारतीय छात्र इस वायरस से संक्रमित नहीं पाया गया है. बच्चों के बारे में उनके माता-पिता को चिंता करने की जरूरत नहीं है. भारत ने हुबेई प्रांत से 250 भारतीयों, अधिकतर छात्रों, को निकालने की तैयारी शुरू कर दी है और बीजिंग में भारतीय दूतावास ने कहा कि वापस लौटने पर इन नागरिकों को अनिवार्य रूप से 14 दिन अलग थलग रखा जायेगा. वहां रह रहे अधिकांश भारतीय नागरिक छात्र, शोधार्थी हैं और इसके अलावा भारतीय व अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिये काम करने वाले पेशेवर हैं. दुनिया भर के एक दर्जन से ज्यादा देशों ने इस जानलेवा विषाणु के मामलों की अपने यहां पुष्टि की है और भारत इस विषाणु की पहचान व इसके प्रसार पर अंकुश लगाने के प्रयास में जुटा है.
सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की जानकारी देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्धन ने कहा, 2014 में जिस तरह से हमने सर्तकता बरतते हुए इबोला वायरस को भारत में प्रवेश करने से रोका था उसी प्रकार कोरोना वायरस को रोकने के लिए हम हरसंभव उपाय कर रहे हैं. हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे (एनआईवी) के अलावा चार अन्य प्रयोगशालाओं को सक्रिय किया है. इनमें आईसीएमआर की अलेप्पी, बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई स्थित प्रयोगशाला शामिल हैं. आने वाले समय में इन प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाकर 10 की जायेगी.
उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए अब तक किये गये उपायों की जानकारी देते हुए बताया कि इस वायरस के संक्रमण की ‘थर्मल जांच’ के दायरे में देश के 20 हवाईअड्डों को शामिल किया जायेगा. अभी इसके दायरे में सात हवाईअड्डे (नयी दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोच्चि) शामिल हैं. उन्होंने कहा कि नेपाल में एनसीओवी का मामला सामने आने के बाद उससे लगी सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी गयी है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया है कि इस विषाणु पर नियंत्रण और इसके प्रसार को रोकने के लिए की गयी तैयारियों की समीक्षा व्यक्तिगत रूप से करें.
स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान में यह भी कहा गया कि कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने मंगलवार को इस खतरनाक विषाणु से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए बैठक की. बैठक में बताया गया कि पोत परिवहन मंत्रालय ने सभी प्रमुख बंदरगाहों पर जांच की प्रक्रिया शुरू की है. चीन में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि देश में मंगलवार को कोरोना वायरस से 24 और लोगों की मौत की खबर है जिससे इस बीमारी में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 106 हो गयी है, जबकि 4,515 लोग इससे प्रभावित हैं. चीनी सरकार ने पहले ही वुहान और हुबेई प्रांत के अन्य शहरों में आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगा दी है.
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