इलेक्शन डेस्क
नयी दिल्ली : Delhi Assembly Election 2020. दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार की शाम छह बजे से प्रचार कार्य थम गया. प्रचार समाप्त होने के बाद से चुनाव खत्म होने तक कोई भी राजनीतिक पार्टी या फिर उनके उम्मीदवार जनता के बीच मतदान करने को लेकर चुनाव प्रचार नहीं कर सकते. आठ फरवरी यानी शनिवार को देश की राजधानी दिल्ली में 2688 मतदान केंद्रों पर सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक मतदान किया जा सकेगा. शनिवार को करीब 1,47,03,692 मतदाता यह तय करेंगे कि देश की राजधानी दिल्ली में कौन मुख्यमंत्री बनेगा और किसे सत्ता मिलेगी.
चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को रिझाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी है. इसके साथ ही, राजनेताओं ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में कमी नहीं की. इस दौरान सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान कराये गये विकास कार्यों को मुद्दा बनाकर चुनाव मैदान में प्रचार कर रही थी, तो उसके प्रबल प्रतिद्वंद्वी भाजपा ने केंद्र सरकार की योजनाओं और उसके द्वारा कराये गये कार्यों पर मैदान में ताल ठोक रही थी.
इस बीच, इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों के केंद्र में संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए के विरोध में बीते करीब डेढ़ महीने से भी अधिक समय से शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारी बने रहे या यूं कहें कि राजनीतिक दलों के सभी मुद्दों पर शाहीन बाग का मुद्दा हावी रहा. इस बीच, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों की फीस बढ़ोतरी और सीएए के विरोध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया का भी मुद्दा छाया रहा. सीएए को लेकर दो धड़े में बंटी भारतीय राजनीति की झलक साफ-साफ दिखाई दे रही थी.
सीएए के विरोध में जहां एक ओर शाहीन बाग समेत पूरे देश में रहे प्रदर्शन यहां के चुनावी मैदान गूंजते रहे. वहीं, प्रदर्शनस्थल पर सीएए के तथाकथित समर्थकों द्वारा चलायी गयी गोलियों का धमाका भी कई दिन तक सुनाई देता रहा. गोलीकांडों के मुख्य अभियुक्तों के तार राजनीतिक दलों से जोड़े गये.
इस दौरान, शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों की फंडिंग का भी मुद्दा उठाया गया. चुनाव में जीत के लिए राजनीतिक दलों द्वारा सारी हदों को पार करते हुए सारे हथकंडों का इस्तेमाल किया गया. अब कुल मिलाकर यह कि विधानसभा में चुनाव में जीत के लिए राजनीतिक दलों ने चाहे जितने सारे हथकंडों को क्यों न किया हो, लेकिन देखना यह ज्यादा कारगर होगा कि जनता मतदान के दिन किसके पक्ष में वोट डालते हैं.
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