प्रदर्शनकारी शरजील इमाम और डॉ कफील खान को रिहा करने की मांग कर रहे थे. इमाम को देशद्रोह के मामले में पिछले महीने बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था. वहीं, 12 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान एक भाषण देने को लेकर डॉ कफील खान पर कुछ ही दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया और वह उत्तर प्रदेश की एक जेल में कैद हैं.
प्रदर्शन का नेतृत्व जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइसी घोष और उपाध्यक्ष साकेत मून ने किया. घोष ने कहा, आजकल, भडकाऊ भाषणों पर देश में जश्न मनाया जाता है. सत्तारूढ़ दल के मंत्री ने ‘शूट’ शब्द का इस्तेमाल किया और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी ओर यदि कोई और, खासकर मुसलमान–सीएए, एनआरसी और एनपीआर का विरोध करता है तो उन्हें निशाना बना कर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है.
इस दौरान प्रदर्शनकारी तख्तियां भी लिए हुए थे जिन पर ‘एनआरसी और सीएए गरीब विरोधी एवं सांप्रदायिक’, ‘कफील खान को रिहा करो’ और ‘शरजील इमाम को रिहा करो’ के नारे लिखे थे.