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जबरन रिटायर करने की तैयारी

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100 से अधिक जवान हैं मनोविकार से ग्रस्त

नयी दिल्ली : चीन के खिलाफ लड़नेवाले प्रमुख लड़ाकू बल भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) ने उन 100 से अधिक सैनिकों को अनिवार्य रिटायरमेंट देने का फैसला किया है, जो अलजाइमर समेत अन्य मनोविकारों से ग्रस्त हैं. पहाड़ों में लड़ाई के लिए प्रशिक्षित बल के लिए यह चौंकानेवाली बात थी, जब उसने पाया कि एक दशक से अधिक समय से कार्यरत उसके जवान सहयोगियों के लिए या तो ‘गंभीर खतरा’ बन सकते हैं या सीमा पर निगरानी अथवा घरेलू सुरक्षा के संवेदनशील दायित्वों के निर्वहन के दौरान ‘सनकी’ हो सकते हैं.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, ‘कई मामलों में इलाज जारी है. फिलहाल बल में ऐसे 40 से अधिक मामले हैं, पर ज्यादातर मामलों में कारण अनुवांशिकी इतिहास या पारिवारिक समस्या था. ऐसे मामले लंबे समय से पदस्थ सैनिकों में पाये गये.

सैनिकों का इलाज करायेगा आइटीबीपी

आइटीबीपी मुख्यालय ने विचार के बाद तय किया कि वह अपने बीमार सैनिकों का समुचित इलाज करायेगा. इस सिलसिले में आधिकारिक परिपत्र तैयार किया गया. इसमें कहा गया है कि आइटीबीपी प्रमुख सुभाष गोस्वामी ने ऐसे मामलों को देखनेवाली चिकित्सा शाखा को आदेश दिया है कि वह जवानों की हरसंभव मदद करे. उन्हें समुचित आवश्यक इलाज मुहैया कराया जाये. अब बल ने ‘एस-5’ स्वास्थ्य श्रेणी के तहत ऐसे मामलों में इलाज करने का फैसला किया है.

गृह मंत्रालय के हिसाब से क्या है ‘एस-5’

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के तहत इस श्रेणी का मतलब होता है श्रेणी के अंतर्गत आनेवाला व्यक्ति ‘सेना के लिए स्थायी रूप से ‘अनफिट’ है. इन मामलों में कुछ में पिछले कुछ वर्षो में सुधार के कोई लक्षण नहीं दिखे. हो सकता है ऐसे जवान आत्महत्या करने या आसपास दूसरों को घायल करने जैसे खतरनाक कदम उठा लें.

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