नयी दिल्ली : जब व्यक्ति, समाज, राष्ट्र अपने इतिहास से ही नफरत करने लगे और उस नफरत को ही वह अपने अस्तित्व का आधार मानने लगे तो उसके भविष्य की सहज कल्पना की जा सकती है. ईर्ष्या आज तक कभी तरक्की का आधार नहीं बनी है.
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