सोनिया से राजनीतिक हिसाब चुकता करेंगे पवार!

नयी दिल्‍ली : मुश्किलों में फंसी कांग्रेस के सामने चतुर राजनीतिज्ञ शरद पवार ने मुश्किलें खड़ी कर दी है. पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने 288 विधानसभा सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस से आधी 144 सीटें मांग ली है. हालांकि कांग्रेस ने राकांपा को 120 सीटें देने का प्रस्ताव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 6, 2014 2:44 PM
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नयी दिल्‍ली : मुश्किलों में फंसी कांग्रेस के सामने चतुर राजनीतिज्ञ शरद पवार ने मुश्किलें खड़ी कर दी है. पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने 288 विधानसभा सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस से आधी 144 सीटें मांग ली है. हालांकि कांग्रेस ने राकांपा को 120 सीटें देने का प्रस्ताव रखा है. लोकसभा चुनाव में शिकस्त मिलने के बाद राकांपा की इस शर्त से कांग्रेस मुश्किलों में पड़ गयी है. उधर, भाजपा की महाराष्ट्र इकाई की ओर कहा गया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी कांग्रेस पर अधिक सीटों के लिए दबाव डाल रही है और दोनों साथ मिल कर लड़ें या अलग-अलग भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ता. जनता में उनकी सरकार के खिलाफ रोष है. वे साथ लड़ेंगे तो भी विपक्ष में बैठेंगे और अलग-अलग लड़ेंगे तो यह तय करेंगे की मुख्य विपक्षी कौन बनता है. केंद्र में प्रबल बहुमत से मिली जीत की भाजपा के इस आत्मविश्वास का कारण है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने महाराष्ट्र दौरे के दौरान भी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

भाजपा की बढ़ती ताकत व कांग्रेस की कमजोर होती पकड़ के बीच चतुर मराठा शरद पवार राज्य में अपनी पार्टी के लिए नयी राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए अकेले चुनाव लड़ने का फैसला ले सकते हैं. बदले राजनीतिक हालात में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को शायद यह अहसास हो गया है कि सत्ता में उनकी वापसी होने वाली नहीं है. ऐसे में पवार की पार्टी अपनी राजनीतिक जमीन बढ़ाने के डेढ़ दशक पुराने सपने को सच करने के लिए यह पहल कर सकती है. सोनिया गांधी के विदेश मूल के मुद्दे पर कांग्रेस से निकलने के बाद पवार ने जब राकांपा की स्थापना की थी, पर बाद में राजनीतिक विकल्पहीनता की स्थिति में उन्हें कांग्रेस से ही गंठजोड़ करना पड़ा. गंठजोड़ के बाद से ही पवार व राकांप की जमीन लगातार सिकुड़ी ही. पवार को हमेशा सोनिया गांधी का मनोवैज्ञानिक, राजनीतिक व सत्ता का दबाव भी ङोलना पड़ा. आज जब कांग्रेस की स्थिति बेहद कमजोर है और मीडिया में इस आशय की खबरें आ रही हैं कि पार्टी के सोनिया-राहुल के शीर्ष नेतृत्व पर ही सवाल उठा रहे हैं, तो ऐसे में पवार को अपना राजनीतिक हिसाब चुकता करने का मौका मिल गया है.

2009 के विधानसभा चुनाव में राकांपा 114 व कांग्रेस 174 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इसमें कांग्रेस ने 82 सीटें जीती थी, वहीं राकांपा ने 62 सीटें जीती थी. कांग्रेस चाहती है कि यह सीट शेयरिंग फामरूला इस बार भी लागू हो. इस बीच खबर है कि दोनों दलों ने महाराष्ट्र में अलग-अलग चुनाव प्रचार शुरू करने वाले हैं. इस बीच आज शनिवार को तीन बजे एक बार फिर दोनों दलों के बीच सीट समझौते पर बात हो सकती है. अब देखना यह है कि पवार का अगला दावं क्या होगा.

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