नयी दिल्ली: केंद्रीय बिजली और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कोयला ब्लॉकों के आबंटन को गैरकानूनी व मनमाना बताया जाने वाले अदालत के निर्णय को सरकार के लिए आगह करने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि इससे व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता व जवाबदेही लाने की जरूरत है.
गोयल ने कहा कि ‘यह हमारे लिए एक चेतावनी है. जब हम यहां यह बात कर रहे हैं तो वहां उच्चतम न्यायालय इस मामले की सुनवाई कर रहा है. देश में सरकार के सभी कामों में जवाबदेही व पारदर्शिता लानी ही होगी.
मानदंड को अधिक पारदर्शी बनाना होगा और सुचिता लानी होगी’. उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञों व अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक सजग व जाग्रत होना होगा.
उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने निर्णय किया कि 1993 से 2010 के दौरान राजग व संप्रग सरकारों के कार्यकाल में नीलामी पूर्व के दौर में सभी कोयला ब्लाकों के अबंटन गैरकानूनी और मनमाने तरीके से किए गए.
सरकार इस मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार कर रही है. इसके बाद ही उपरोक्त अवधि में आवंटित 218 कोयला ब्लाकों का भविष्य तय होगा. इस बीच, गोयल ने राज्यों के बिजली मंत्रियों व अधिकारियों से बैठक में नीति में सुधार संबंधी मुद्दों पर विचार विमर्श किया.
गोयल ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘आज की बैठक का मुद्दा नीति में सुधार है. समस्यों व राज्यों से जुडे मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए हम किसी और समय मिलेंगे’.
हालांकि उन्होंने कहा कि ऐसे विशेष उदाहरणों का स्वागत है जिनसे नीति में सुधार किया जा सकता है. 29 राज्यों और 5 संघ शासित प्रदेशों में से केवल 18 राज्यों के प्रतिनिधि बैठक में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि देश में हर घर में पांच साल में दिन-रात बिजली की बराबर उपलब्धता के लिए केंद्र को राज्य सरकारों से सहयोग की जरुरत है.
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