अदालत ने राणा की याचिका खारिज की, जिसमें उसने मुंबई हमलों में अपनी संलिप्तता के चलते भारत को प्रत्यर्पित किए जाने का विरोध किया था. अदालत ने माना कि भारत ने उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत प्रस्तुत किए हैं, जिससे यह साबित होता है कि प्रत्यर्पण आदेश सही था.
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राणा का नाम मुंबई पुलिस की चार्जशीट में आया था, जिसमें उसे पाकिस्तान की ISI और लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य के रूप में आरोपित किया गया. चार्जशीट में यह भी कहा गया कि राणा ने हमलों के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली की मदद की, जिसने हमलों के लिए मुंबई में स्थलों की जाँच की थी.
अदालत ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि में Non-Bis in Idem का अपवाद है, जो तब लागू होता है जब आरोपी को पहले ही उसी अपराध के लिए दोषी ठहराया या बरी किया गया हो. हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि राणा के खिलाफ भारत में आरोप और अमेरिका में चल रहे मामलों में अंतर है, इसलिए यह अपवाद लागू नहीं होता.
मुंबई हमलों के एक साल बाद, एफबीआई ने शिकागो में राणा को गिरफ्तार किया था. राणा और डेविड कोलमेन हेडली ने मिलकर हमलों के लिए मुंबई में जगहों की जाँच की थी और पाकिस्तान के आतंकवादियों को हमला करने का खाका तैयार किया था.
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