जानिए! आम आदमी को कितना चोट पडा इस बजट से ?

नयी दिल्लीः पूर्ण बहुमत से इस बार केंद्र में सरकार बनाने वाली मोदी सरकार के पहले बजट में आज कुछ लोक-लुभावन घोषणाएं की गयी लेकिन जानकार बताते हैं कि इस बजट से आम आदमी को भी काफी चोट पहुंचा है. सबसे पहली बात की इस बजट से मिडिल क्लास को जो अपेक्षाएं थी कि आयकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2015 7:03 PM
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नयी दिल्लीः पूर्ण बहुमत से इस बार केंद्र में सरकार बनाने वाली मोदी सरकार के पहले बजट में आज कुछ लोक-लुभावन घोषणाएं की गयी लेकिन जानकार बताते हैं कि इस बजट से आम आदमी को भी काफी चोट पहुंचा है. सबसे पहली बात की इस बजट से मिडिल क्लास को जो अपेक्षाएं थी कि आयकर सीमा में कुछ छूट दी जाएगी वह इस बजट में नहीं दिखा.

आयकर सीमा की छूट में किसी तरह का कोई बदलाव वित्त मंत्री ने अपने बजट में नहीं किया. इससे देश में निजी क्षेत्रों में काम करने वाले मिडिल क्लास के लोगों को झटका लगा है. जानकारों के अनुसार महंगाई बढ रही है, उनके खर्च बढ रहे हैं ऐसे में आयकर सीमा भी जस के तस रहना उनके लिए एक बोझ है. दूसरी सबसे बडा झटका आम आदमी को सर्विस टैक्स में बढोतरी से हुआ है. जेटली ने बजट में सर्विस टैक्स को 12.36 फीसदी से बढाकर 14 फीसदी कर दिया है. इस वृद्धि से आम आदमी को महंगाई की मार झेलनी पडेगी. इससे कई जरुरी वस्तुओं और सेवाओं के दाम महंगे हो जाएंगे.

इससे रेस्टोरेंट में खाना, फोन बिल, कुरियर सेवा, जिम जाना जैसी सेवाएं महंगी हो जाएगी. यहां तक की इससे बोतल बंद पानी भी महंगे हो जाएंगे. वित्त मंत्री ने भी बजट भाषण के बाद मिडिल क्लास के बारे में पूछे जाने पर एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि मिडिल क्लास अपना ध्यान खुद रखें. आज के बजट प्रावधान के बाद अगले वित्त वर्ष से प्रथम दर्जा एवं बिजनेस क्लास के विमान यात्रियों के लिए हवाई यात्रा महंगी भी महंगी हो जाएगी.

कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी आम बजट 2015-16 को पहले से ही महगाई की मार झेल रहे उपभोक्ताओं की कमर तोडने वाला बजट बताया है. कहा गया है कि ‘मेक इन इंडिया’ का नारा देने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार और वित्त मंत्री अरुण जेटली से आमजनों को अपेक्षा थी कि आम बजट जनकल्याणकारी, लोकोपयोगी और लोक लुभावन होगा, किंतु वित्त मंत्री ने तमाम उम्मीदों पर न केवल पानी फेर दिया है, बल्कि आम उपयोग में आने वाली अधिकांश अति उपयोगी वस्तुओं पर टैक्स भार बढाकर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों और नौकरीपेशा लोगों की मुश्किलें बढा दी हैं.

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