कोल ब्लॉक घोटाला : अरूण जेटली ने कहा, पूर्व पीएम की ईमानदारी पर कोई शक नहीं

नयी दिल्ली : कोल ब्लॉक घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की परेशानी बढ़ती जा रही है. ओड़िशा में 2005 में तालाबीरा-2 कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़े एक मामले में सीबीआइ के स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आरोपी के तौर पर समन जारी किया. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2015 8:50 AM
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नयी दिल्ली : कोल ब्लॉक घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की परेशानी बढ़ती जा रही है. ओड़िशा में 2005 में तालाबीरा-2 कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़े एक मामले में सीबीआइ के स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आरोपी के तौर पर समन जारी किया. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने पूर्व पीएम के अलावा उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख, मेसर्स हिंडाल्को और उसके दो शीर्ष अधिकारियों को भी मामले में आरोपी के रूप में समन किया. सभी से आठ अप्रैल को पेश होने के लिए कहा गया है. कोर्ट ने टिप्पणी की कि मनमोहन सिंह को 2005 में तालाबीरा-2 (ओड़िशा) कोल ब्लॉक आवंटन में मेसर्स हिंडाल्को को ‘समायोजित’ करने के लिए आपराधिक षड्यंत्र में शामिल किया गया था. इधर, मनमोहन सिंह ने समन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘मैं कानूनी प्रक्रि या से गुजरने के लिए तैयार हूं.’

राज्यसभा में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि मनमोहन सिंह की ईमानदारी पर हमें कोई शक नहीं है. हम भी इस फैसले से काफी शॉक हैं. इस समन से हम बहुत सदमे में हैं. मैं आपको बता दूं कि इसमें सरकार का कोई हाथ नहीं है.

विशेष सीबीआइ न्यायाधीश भरत पराशर ने अपने 73 पृष्ठ के आदेश में कहा : प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि आराधिक षड्यंत्र की रूपरेखा हिंडाल्को के अफसर शुभेंदु अमिताभ, डी भट्टाचार्य, कुमार मंगलम बिड़ला व मेसर्स हिंडाल्को द्वारा तैयार की गयी थी जिसे तत्कालीन कोयला सचिव पीसी पारख और बाद में तत्कालीन पीएम व कोयला मंत्री मनमोहन सिंह को संलिप्त करके आगे बढ़ाया गया.हालांकि, सचिव पारख और मनमोहन सिंह अलग-अलग भूमिकाएं निभा रहे थे, लेकिन मेसर्स हिंडाल्को को किसी भी तरह से तालाबीरा- दो कोल ब्लॉक में समायोजित करने का सामूहिक प्रयास किया गया. उस आपराधिक षड्यंत्र का केंद्रीय सामूहिक उद्देश्य था जिसकी सभी को जानकारी थी.

क्या हो सकती है सजा

इस मामले में दोषी पाये जाने पर आरोपियों को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है क्योंकि अदालत ने आपराधिक षड्यंत्र, सरकारी कर्मचारी, बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा अमानत में खयानत अपराधों का भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत संज्ञान लिया है.

दुखी, पर साबित करूंगा अपनी बेगुनाही

जाहिर तौर पर मैं दुखी हूं लेकिन यह जीवन का हिस्सा है. मैंने हमेशा कहा है कि मैं कानूनी पड़ताल के लिए तैयार हूं. विश्वास है कि सच सामने आयेगा और मुङो सभी तथ्यों के साथ अपने पक्ष को रखने का मौका मिलेगा. देश की न्याय प्रक्रिया का मैं सम्मान करता हूं. निष्पक्ष मुकदमे में मैं अपनी बेगुनाही साबित करूंगा.

मनमोहन सिंह, पूर्व पीएम

इनको मिला समन : मनमोहन सिंह के अलावा कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख, हिंडाल्को, हिंडाल्को के अधिकारियों शुभेंदु अमिताभ व डी भट्टाचार्य को भी आरोपी के तौर पर समन किया.

कौन-कौन सी धाराएं : आइपीसी की धाराओं 120 बी (आपराधिक साजिश) और 409 (किसी लोकसेवक या बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून (पीसीए) के प्रावधानों के तहत छह आरोपियों को कथित अपराधों के लिए सम्मन किया है. दोषी ठहराये जाने पर आरोपियों को अधिकतम आजीवन कारावास की हो सकती है.

क्या है मामला

साल 2005 में जब बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को ओड़िशा के तालाबीरा द्वितीय और तृतीय में कोल ब्लॉक आवंटित किये गये थे, तो कोयला मंत्रालय का प्रभार मनमोहन सिंह के पास था. आरोप है कि तत्कालीन कोयला सचिव पीसी पारेख ने हिंडाल्को को कोल ब्लॉक आवंटित न करने के अपने निर्णय को एक महीने में बदल दिया था और ऐसा करने के लिए उसने कोई कारण नहीं बताया था. इस मामले में कुमार मंगलम बिड़ला व पीसी पारेख के खिलाफ सीबीआइ ने अक्तूबर 2013 में मामला दर्ज किया था.

पहली बार नहीं : यह पहली बार नहीं है जब किसी पूर्व प्रधानमंत्री को किसी आपराधिक मामले में आरोपी के रुप में सम्मन किया गया है. दिवंगत प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव को भी एक आरोपी बनाया गया था. तीन अलग अलग आरोपपत्र दाखिल किये गये थे जिसमें झामुमो सांसद रिश्वत मामला भी शामिल था. यद्यपि वह सभी में बरी हो गये थे.

यह मेरे लिए आश्चर्य की बात है. हालांकि अदालत का काम करने का अपना तरीका है. इस पर मैं टिप्पणी नहीं करूंगा. इसमें किसी तरह की राजनीति नहीं है.
पीसी पारख, पूर्व कोयला सचिव


कोल ब्लॉक आवंटन में हुए घोटाले की जांच अदालत की पैनी नजरों के तहत होनी चाहिए. इस घोटाले के लिए जो कोई भी जिम्मेदार हो, उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
किरीट सोमैया, भाजपा

यह समझने की जरूरत है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मनमोहन सिंह की बिल्कुल भी आलोचना नहीं की है. इस मामले में मनमोहन सिंह ने अत्यंत पारदर्शिता बरती है.जांच में पूरा सहयोग किया है.
मनीष तिवारी, कांग्रेस

हिंडाल्को दोहराती है कि कुमारमंगलम बिड़ला सहित उसके किसी भी अधिकारी ने कोल ब्लॉक हासिल करने में किसी भी तरह का गैर कानूनी तरीका नहीं अपनाया है. कंपनी कानूनी प्रक्रिया के जरिये अपने पक्ष का बचाव करेगी. अंत में हमारी बात सही साबित होगी.
हिंडाल्को

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