यह बात दीगर है कि आईसीएमआर-एनआईवी की निदेशक ने सितंबर तक बच्चों के लिए कोरोना का टीका बाजार में आने का दावा किया था, लेकिन कीमत को लेकर सहमति नहीं बनने के कारण इसके आने में देर हो रही है.
सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबर के अनुसार, सरकार रियायती दरों पर बच्चों के लिए कोरोना के टीके को उपलब्ध कराना चाहती है. जायकोव-डी टीके को लगाने के लिए सूई की जगह जेट इंजेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए अप्लीकेटर की भी जरूरत पड़ती है. सरकार इंजेक्टर और अप्लीकेटर का भी दाम कम कराना चाहती है.
इससे पहले नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने भी स्वीकार किया था कि जायडस कैडिला के टीके की कीमत को लेकर मामला फंसा हुआ है. हालांकि, कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि कि अब सरकार हफ्ते भर के अंदर जायकोव-डी टीके की कीमत पर जारी गतिरोध को खत्म करके आगे बढ़ना चाहती है.
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इस बाबत राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार ग्रुप (एनटीएजीआई) के चेयरमैन डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि बच्चों का टीकाकरण जल्द शुरू किया जाएगा. उन्होंने बताया कि पहले से कई तरह की बीमारियों से पीड़ित और संक्रमण के लिहाज से अधिक जोखिम वाले बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा.
बता दें कि अहमदाबाद स्थित कंपनी के इस टीके को डीसीजीआई की मंजूरी मिल चुकी है. जायकोव-डी की तीन खुराक 12 से 18 साल के बच्चों को दी जाएगी. हर खुराक में दो मिलीग्राम वैक्सीन होगी. इस तरह कुल छह मिलीग्राम वैक्सीन लगाई जाएगी. यह वैक्सीन दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है. हालांकि, कंपनी दो खुराक वाला टीका बनाने की भी मंजूरी लेगी.