नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ महाराष्ट्र की एक निचली अदालत चल रहे आपराधिक मानहानि से जुडे एक मामले में कार्यवाही पर आज रोक लगा दी. महात्मा गांधी की हत्या का आरोप कथित रुप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगाने के संबंध में राहुल के खिलाफ मानहानि का यह मामला दाखिल किया गया है.
Congress Vice-President Rahul Gandhi exempted by SC from appearing in Maharashtra court tomorrow in defamation case.
— ANI (@ANI) May 7, 2015
न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति पी सी पंत की एक पीठ ने कहा, ‘‘ सुनवाई की आगामी तारीख तक निचली अदालत में लंबित इस मामले में आगे की कार्यवाही पर रोक रहेगी.’’ महाराष्ट्र में ठाणे जिले के भिवंडी में एक मजिस्ट्रेटी अदालत के सामने राहुल गांधी के खिलाफ मामला लंबित है.
उच्चतम न्यायालय ने शिकायत दर्ज कराने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यकर्ता और केंद्र को भी नोटिस जारी कर चार सप्ताह में उत्तर देने को कहा और मामले की सुनवाई आठ जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी.
राहुल ने भी आपराधिक मानहानि संबधी पैनल के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने संबंधी याचिका दायर की है. पीठ ने राहुल की इस याचिका को उनके प्रतिद्वंद्वी दलों के नेताओं भाजपा के सुब्रमण्यम स्वामी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिकाओं के साथ जोड दिया. इन सभी ने मानहानि संबंधी भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और धारा 500 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है.
पीठ ने यह स्पष्ट किया कि वह इन लोगों के खिलाफ दर्ज मानहानि के किसी भी मामले के गुण दोष नहीं देखेगा और केवल पैनल के प्रावधानों की वैधता पर विचार करेगा. पीठ ने कहा, ‘‘ हम इन मामलों के गुण दोष पर विचार नहीं करेंगे. हम केवल आईपीसी की धारा 499 और धारा 500 की संवैधानिक वैधता पर विचार करेंगे.’’
राहुल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पी पी राव ने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करते हुए स्वामी और केजरीवाल की याचिकाओं के संबंध में उच्चतम न्यायालय के पूर्व में दिए गए आदेश का उल्लेख किया. संघ के कार्यकर्ता की ओर पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एम एन कृष्णामणि ने शुरआत में याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राहुल के वकील रिट याचिका की प्रति नहीं सौंप रहे हैं और साथ ही कांग्रेस के नेता ने 10 मार्च को सुनाए गए बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है जिसमें अदालत ने उनके खिलाफ दायर मानहानि के मामले को खारिज करने से इनकार कर दिया था.
उन्होंने कहा कि इस मामले को 11 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. हालांकि पीठ ने कहा कि स्वामी और केजरीवाल के खिलाफ दायर मानहानि के मामलों में विभिन्न निचली अदालतों में सुनवाई पर पहले की रोक लगाई जा चुकी है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं टी आर अंध्यारजिना और के पारासरन ने इस मामले में न्यायालय मित्र के रुप में मदद करने पर सहमति जताई है.
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि वह संविधान को ध्यान में रखते हुए प्रावधानों की वैधता की जांच करेगी और इस तथ्य से प्रभावित नहीं होगी कि कई यूरोपीय देशों ने आपराधिक मानहानि को निरस्त या रद्द कर दिया है. पीठ ने कहा, ‘‘ हमें संविधान और उसके अनुच्छेद 13 से निर्देशित होना चाहिए.’’
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