आरोपपत्र में कहा गया, ‘अगस्त से अक्तूबर 2014 के बीच वह दो बार गोली लगने तथा एक बार अमेरिकी हमले सहित कुल तीन बार घायल हुआ.’ इसमें कहा गया कि इसी समय उसने भारत लौटने का फैसला किया. एनआइए ने कहा कि नवंबर 2014 में उसने तुर्की के भारतीय दूतावास में बात की और कहा कि उसका पासपोर्ट खो गया है. दूतावास ने उसे आपातकालीन प्रमाणपत्र जारी किया.
एनआइए ने कहा कि उसने भारत में घुसने का प्रयास किया और वह एक तुर्की एयरलाइंस फ्लाइट में सवार हुआ लेकिन उसे मुंबई उतरने पर गिरफ्तार कर लिया गया. मजीद पिछले साल 28 नवंबर में मुंबई लौटा, जिसके बाद उसे हिरासत में लिया गया और फिर गिरफ्तार किया गया. इराक जाने से पहले मजीद ने आइएसआइएस के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइटों से कुछ वीडियो डाउनलोड किये.
उसने इन वेबसाइटों के जरिये लोगों से संपर्क करना शुरू किया और इस दौरान वह कल्याण के तीन अन्य युवकों के संपर्क में आया जो अब भी लापता हैं. आरोपपत्र में कहा गया कि चारों लडकों ने नियमित रूप से मिलना शुरू कर दिया था और आइएसआइएस में शामिल होने का फैसला किया. गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 125 (जो ऐसे एशियाई देशों के खिलाफ युद्ध छेडने पर लागू होती है, जिनके भारत के साथ दोस्ताना संबंध हैं) के तहत आइएसआइएस, मजीद और अन्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. वे सभी इंजीनियरिंग के छात्र हैं.