नयी दिल्ली : देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में हाई अलर्ट बरता जा रहा है, क्योंकि ऐसी सूचना है कि एनएससीएन के उग्रवादी विद्रोही शिविरों पर सेना द्वारा किये गये हमले का बदला लेने के लिए भारत में प्रवेश कर गये हैं. यह कदम गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद उठाया गया है.
बैठक में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, उप सेना प्रमुख लेफ्टीनेंट जनरल फिलिप केम्पोस भी मौजूद थे. बैठक मेंखुफिया सूचनाओं को साझा किया गया है. उग्रवादी समूह एनएससीएन -के ने चार जून के बाद से सुरक्षा बलों को लगातार निशाना बनाने का प्रयास किया है. अब तक कम से कम पांच घटनाएं हो चुकी हैं.
इस बीच शीर्ष सुरक्षा प्रतिष्ठान ने समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति और सेना हमले के नतीजों का जायजा लिया. सरकार ने व्यवस्था पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि जरूरत पड़ने की स्थिति में वह भविष्य में भी इसी प्रकार के हमलों का आदेश दे सकती है. बैठक में सुरक्षा अधिकारियों ने इस जरूरत पर बल दिया कि उग्रवादी हमले के मद्देनजर बचाव व आक्रामक दोनों ही कदम उठाये जाने चाहिए.
ये उग्रवादी घुसे
खुफिया सूचनाओं के अनुसार एनएससीएन के, पीएलए, उल्फा और नव गठित यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ साउथ एशिया सहित अन्य समूहों के करीब 20 उग्रवादी सेना के हमले का बदला लेने के मकसद से भारत-म्यांमार की सीमा पार कर हमारे क्षेत्र में घुस आये हैं.
एनएससीएन की पेशकश ठुकरायी
केंद्र के साथ शांति वार्ता कर रहे एनएससीएनआइएम (आइसेक -मुइवाह) ने अपने कट्टर विरोधी एनएससीएन-के विद्रोहियों को खोज कर खत्म करने में सुरक्षा बलों की मदद करने की इच्छा जतायी है, लेकिन सरकार ने इस पेशकश को ठुकरा दिया है.
एहतियात बरत रही सरकार
बहरहाल, म्यांमार में होने वाले चुनाव के मद्देनजर सरकार एहतियात बरत रही है. डोभाल जल्द ही म्यांमार जायेंगे और उन परिस्थितियों के बारे में म्यांमार के नेतृत्व को बतायेंगे जिनके चलते भारत को उसकी भूमि से परिचालन करने वाले उग्रवादियों के खिलाफ सटीक हमले का आदेश देना पड़ा था. एक रिपोर्ट यह भी है कि भारत ने अभियान समाप्त होने के बाद ही म्यांमार को सेना के हमले के बारे में सूचित किया था. हालांकि, सरकार कायम है कि सूचना का आदान-प्रदान कार्रवाई से पूर्व किया गया था.
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