आग सुलग रही है!

– हरिवंश – भोग और बाजार ने आंदोलन या परिवर्तन की सभी संभावनाओं को खत्म कर दिया है? क्यों 1968 के पेरिस छात्र आंदोलन या भारत में 1974 के छात्र आंदोलन या नवनिर्माण आंदोलन जैसे बदलाव के संकेत अब नहीं दिखते? अण्णा हजारे का उदय, फिर अस्त. अरविंद केजरीवाल के धमाके, फिर खामोशी. बाबा रामदेव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 13, 2015 12:34 PM
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