आरोपी को एनआइए के विशेष न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया जिन्होंने उसे सात जुलाई तक एजेंसी के रिमांड में भेज दिया. हमले के कुछ ही दिनों के अंदर मामले की जांच एनआइए को सौंप दी गई थी जिसे इसमें पहली सफलता मिली है. जांच एजेंसी ने घटनास्थल पर उपमहानिरीक्षक के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम तैनात की थी. अनल के बारे में अधिकारियों ने कहा कि हमले के बाद चार जून की हत्या में अपनी भूमिका से बचने के लिए उसने दूसरे मामले में खुद को गिरफ्तार करा लिया.
उन्होंने कहा कि जांच के दौरान उसकी भूमिका सामने आने लगी जिसके बाद एनआइए के अधिकारियों ने उससे लगातार पूछताछ की. अंतत: वह टूट गया और षड्यंत्र का हिस्सा होने की बात स्वीकार की है. एनआइए अधिकारियों ने कहा कि हमले में एनएससीएन-के के 23 सदस्यों ने शिरकत की जिसमें दो घटना में मारे गये थे. एनआइए ने शेष 21 में से 14 एनएससीएन-के सदस्यों की पहचान की है जिन्होंने घात लगाकर हमला किया था.
उन्होंने कहा कि उग्रवादी तीन समूहों में आए थे और हमले को अंजाम दिया. जांच के दौरान एनआइए ने एनएससीएन-के के आत्मसमर्पण कर चुके कई उग्रवादियों से पूछताछ की जिन्होंने मामले में आरोपी की पहचान में मदद की. इसके जवाब में सटीक हमले में भारतीय सेना के कमांडो ने नगालैंड और मणिपुर की म्यामांर की सीमा के साथ लगते दो स्थानों पर उग्रवादियों के दो शिविरों पर हमले किये जिसमें उग्रवादियों को काफी क्षति उठानी पडी.
चार जून के हमले के बाद सेना ने भारत-म्यामांर की सीमा पर स्थित एनएससीएन-के के शिविरों पर सटीक हमले किये थे. उन्होंने कहा कि यह गौर किया गया कि उग्रवादी हमले के लिए सीमा पार कर आते हैं और हमला कर वापस लौट जाते हैं. एनएससीएन-के ने मार्च में संघर्ष विराम संधि से अलग होने के बाद कुछ अन्य उग्रवादी समूहों के साथ मिलकर ‘यूनाईटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ साउथ ईस्ट एशिया’ के बैनर तले कई हमले किये हैं.