मुंबई : मुंबई में 1993 में हुए विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन को इस महीने के आखिर में फांसी की सजा दिये जाने की खबरों के बीच शिवसेना ने आज कहा कि राजनीतिक दलों को इस संवेदनशील विषय पर सांप्रदायिक राजनीति से बचना चाहिए.
शिवसेना प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य डॉ नीलम गोरे ने यहां विधान भवन में संवाददाताओं से कहा, याकूब मेमन पर मुकदमा चला और उसे निचली अदालत ने दोषी ठहराया. भारत के राष्ट्रपति ने उसकी दया याचिका को खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा, राजनीतिक दलों और लोगों को इस तरह के संवेदनशील विषय पर पक्षपात की और सांप्रदायिक राजनीति नहीं करनी चाहिए. 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों में अनेक लोग मारे गये और कई हमेशा के लिए जख्मी हो गये. विस्फोटों से अनेक परिवार तबाह हो गये. शिवसेना विधायक ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार इस मुद्दे पर कानून के प्रावधानों के अनुसार उचित फैसला लेंगे.
उन्होंने कहा, इस तरह के जघन्य अपराध करने वालों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए. सपा के विधायक अबू आजमी ने कहा था कि मेमन को फांसी दिये जाने की तारीख मीडिया क्यों बता रहा है जबकि अजमल कसाब और अफजल गुरु को फांसी देने की तारीख पर इतनी गोपनीयता बरती गयी थी. आजमी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए गोरे ने कहा, यह आरोप पूरी तरह गलत है कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले में कुछ प्रचार करने का प्रयास कर रही है. हालांकि युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
मेमन फिलहाल नागपुर की केंद्रीय जेल में बंद है. जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार फांसी की तारीख पर फैसला उच्चतम न्यायालय में उपचारात्मक याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगा. विशेष टाडा अदालत ने 1993 के बम विस्फोटों के मामले में मेमन समेत दस दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी. मेमन की सजा पर उच्चतम न्यायालय ने मुहर लगाई थी.
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