वह कल शाम पणजी के बाहरी इलाके बामबोलिम में फंड जुटाने के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, ‘कभी कभी स्थानीय मुद्दे को लेकर तिल का ताड बना दिया जाता है.’ उन्होंने जोर दिया कि वह किसी घटना का हवाला नहीं दे रहे हैं. उन्होंने ऐसे मुद्दों पर संयम बरतने का भी आह्वान किया.उत्तरप्रदेश में हालिया घटनाओं से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अलग रखने की मांग करते हुए पर्रिकर ने कहा, ‘मैं बचपन से ही आरएसएस का समर्पित पदाधिकारी रहा हूं. इसका (दादरी घटना का) आरएसएस से कोई लेना देना नहीं है. भारतीय समाज एक सहिष्णु और समझदार समाज है जहां बातचीत और मेल जोल के जरिए समाधान पर पहुंचा जाता है.’
उन्होंने कहा, ‘किसी भी तरह की हिंसा स्वीकार्य नहीं की जा सकती.’ गोमांस खाने की अफवाह पर हाल में उत्तरप्रदेश में 50 वर्षीय एक मुसलमान की पीट-पीट कर हत्या के बाद नाराजगी जताते हुए कई लेखकों ने बढती असहिष्णुता पर साहित्य अकादमी का अपना-अपना पुरस्कार लौटा दिया. जब पूछा गया कि जैसा कि बाबा रामदेव ने मांग की है क्या गोमांस पर देश भर में पाबंदी लगाने पर विचार किया जा रहा है पर्रिकर ने कहा, ‘सरकार का फैसला हर किसी के लिए समान होना चाहिए.’ केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हो सकता है कि कुछ शाकाहारी चाहें कि पूरी दुनिया केवल शाकाहारी खाये. अगर सब्जियों की कीमतें बढ जाएंगी तो क्या होगा? यहां तक कि शाकाहारियों को भी खाने के लिए सब्जियां नहीं मिलेंगी.’
कुछ तर्कवादियों की हत्या के कारण जांच के घेरे में आयी गोवा स्थित सनातन संस्था जैसे संगठनों पर क्या प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, इस सवाल पर पर्रिकर ने कहा कि इस तरह का प्रतिबंध लगाने से पहले जांच एजेंसियों को संगठन के खिलाफ मामला बनाना होगा. उन्होंने जोर दिया, ‘सिमी की तरह सरकार को उनके खिलाफ यह साबित करने के लिए मामला बनाना होगा कि विरोधी विचार रखने वालों को खामोश कराने के लिए संगठन ने हिंसा को बढावा दिया. लोकतंत्र में हिंसा की इजाजत नहीं दी जा सकती.’