आरक्षण पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी पर एक सवाल का उत्तर देते हुए पासवान ने कहा, ‘‘मैं नहीं मानता कि यही एकमात्र मुद्दा था. यद्यपि यह सही है कि महागठबंधन के नेता इस बयान की मदद से काफी हद तक लोगों को भ्रमित करने में सफल रहे. यह एक बडा मुद्दा बन गया. वे लोगों को यह विश्वास दिलाने में सफल रहे कि यदि राजग सत्ता में आया तो आरक्षण समाप्त कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं को यह विश्वास दिलाने में सफल नहीं हो पाये कि यह सही नहीं है, यद्यपि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित हम सभी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करने की कोई योजना नहीं है. इसके साथ ही पासवान ने यह भी जोड़ा कि वह यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि भागवत ने टिप्पणी किस परिप्रेक्ष्य में की और क्या वह यह बात गुजरात में पटेलों के लिए आरक्षण के लिए हार्दिक पटेल के आंदोलन की प्रतिक्रिया में कह रहे थे. इसके अलावा पासवान ने गोमांस मुद्दे पर दादरी में व्यक्ति की पीट पीटकर हत्या और उससे संबंधित विवाद को लेकर राजग में असहजता को प्रतिबिंबित किया.
उन्होंने कहा कि दादरी की घटना एक कानून एवं व्यवस्था की समस्या थी और इसका आरोप समाजवादी पार्टी पर लगाया जाना चाहिए जो उत्तर प्रदेश में सत्ता में है. इससे मुलायम सिंह यादव से संबंधित एक मुद्दे के तौर पर व्यवहार होना चाहिए. इस घटना का इस्तेमाल करके विपक्ष बिहार में अल्पसंख्यकों को यह यकीन दिलाने में सफल रहा कि यदि राजग सत्ता में आया तो वे सुरक्षित नहीं रहेंगे. केंद्रीय मंत्री ने यद्यपि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह की भूमिका का जमकर बचाव किया. उन्होंने मोदी की उनकी रैलियों में आने वाली भीड़ और प्रचार के लिए तथा शाह की उनकी रणनीति के लिए प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि किसी भी चुनाव में हार एक सामूहिक जिम्मेदारी होती है.
पासवान ने यह भी दावा किया कि नीतीश कुमार की गठबंधन सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकेगी. उन्होंने इन दलीलों को भी खारिज कर दिया कि बिहार चुनाव का 2019 लोकसभा चुनाव परिणाम पर प्रभाव होगा. लोजपा प्रमुख ने कहा, ‘‘यह बाढ़ का पानी है. बाढ का पानी छह महीने बाद अपनी जगह पर नहीं रहता। 2019 तक अधिकतर पानी गंगा में वापस बहकर चला जाएगा.