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‘दिव्यांग” संबोधन पर विकलांग संगठन को आपत्ति, पीएम को लिखा पत्र

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‘दिव्यांग” संबोधन पर विकलांग संगठन को आपत्ति, पीएम को लिखा पत्र

नयी दिल्ली : विकलांग लोगों के कई संगठनों ने समुदाय को संबोधित करने के लिए ‘दिव्यांग’ शब्द के इस्तेमाल पर आज कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री मोदी से ‘विकलांग’ शब्द की जगह इसका इस्तेमाल ना करने की अपील की. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने पिछले साल 27 दिसंबर को अपने रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में कहा था कि शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के पास एक ‘दिव्य क्षमता’ है और उनके लिए ‘विकलांग’ शब्द की जगह ‘दिव्यांग’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

संगठनों ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘हालांकि इस अभिव्यक्ति को गढने के पीछे की मंशा पर सवाल ना करते हुए, यह कहना बेमानी होगा कि केवल शब्दावली बदलने से विकलांगों के साथ होने वाले व्यवहार के तरीके में कोई बदलाव आएगा.’ उन्होंने कहा, ‘हमेशा से विकलांग जिस कलंक और भेदभाव का सामना करते रहे हैं और अब भी दैनिक जीवन में कर रहे हैं, वह देवत्व का उदाहरण देने से कम नहीं हो जाएगा.’ संगठनों ने कहा, ‘हम दोहराना चाहेंगे कि विकलांगता कोई दैवीय उपहार नहीं है. और ‘दिव्यांग’ जैसे वाक्यांशों के इस्तेमाल से किसी भी तरह से अपयश नहीं हट जाएगा या विकलांगता के आधार पर भेदभाव खत्म नहीं हो जाएगा.’

उन्होंने कहा कि सरकार को विकलांगों को देश के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में प्रभावशाली तरीके से हिस्सा लेने से रोकने वाली सांस्कृतिक, सामाजिक, शारीरिक और सोच संबंधी बाधाओं के कारण विकलांगों से जुडे अपयश, भेदभाव और हाशिये पर डालने के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. पत्र में कहा गया, ‘इसलिए हम आपसे ‘दिव्यांग’ शब्द के इस्तेमाल से बचने का और सरकार के इस शब्द के संभावित आधिकारिक इस्तेमाल की किसी भी योजना को टालने का भी अनुरोध करते हैं.’ शुक्रवार को भी प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि लोग निशक्तजनों के प्रति अपनी मानसिकता बदलें और इसलिए वे चाहते हैं कि आम लोग ‘दिव्यांग’ शब्द का इस्तेमाल करें.

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