मुंबई :पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली ने आज कहा कि अमेरिका ने एक बार उसकी पाकिस्तान यात्रा का वित्तपोषण किया था तथा यह भी दावा किया कि उसने मुम्बई आतंकवादी हमले से दो वर्ष पहले वर्ष 2006 तक लश्करे तैयबा को करीब 70 लाख रुपये का ‘‘दान’ दिया.
55 वर्षीय हेडली से आज अमेरिका से एक वीडियो लिंक के जरिये जिरह की गयी. उसने अदालत को बताया कि 1998 में उसकी गिरफ्तारी के बाद, ‘‘अमेरिका की ‘ड्रग इनफोर्समेंट अथॉरिटी (डीईए) ने मेरी यात्रा का वित्तपोषण किया था. मैं तब डीईए के सम्पर्क में था लेकिन यह सच नहीं है कि 1988 और 1998 के बीच मैं डीईए को सूचना मुहैया करा रहा था या उसकी सहायता कर रहा था.’ अमेरिका में 35 वर्ष की सजा काट रहा हेडली मुंबई आतंकवादी हमला मामले में वादामाफ गवाह बन चुका है. उसने उन खबरों का खंडन किया कि उसे लश्करे तैयबा से धनराशि प्राप्त हुई.
उसनेआज कहा कि शिकागो में आव्रजन कारोबार चलाने वाला उसका साथी एवं पाकिस्तानी नागरिक तहव्वुर राणा जानता था कि वह आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है. वर्ष 2008 के आतंकवादी हमले के कथित मुख्य साजिशकर्ता अबू जुंदाल के वकील अब्दुल वहाब खान ने मुंबई सत्र न्यायाधीश जी ए सनप की अदालत में आज सुबह अमेरिका में वीडियो लिंक के जरिए हेडली से जिरह की.
खान ने जब हेडली से राणा के बारे में पूछा तो उसने कहा, ‘राणा लश्कर के साथ मेरे संबंध के बारे में जानता था. मैंने उसे लश्कर के सदस्यों को मेरे द्वारा दिये जाने वाले प्रशिक्षण के बारे में बताया था. मैंने राणा को बताया था कि मैं लश्कर के लिए जासूसी कर रहा हूं. यह मुंबई हमलों से चार या पांच महीने पहले की बात है.’ 26/11 के हमले के मामले में सरकारी गवाह बने 55 वर्षीय आतंकवादी ने कहा कि राणा ने लश्कर के साथ उसके संबंध पर आपत्ति जतायी थी.
उसने कहा, ‘राणा ने लश्कर के साथ मेरे संबंध को लेकर आपत्ति जतायी थी. वह नहीं चाहता था कि मैं मुंबई में उसके कार्यालय का इस्तेमाल करना जारी रखूं. उसकी आपत्तियों के मद्देनजर मैंने कार्यालय बंद करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए थे. यह जुलाई 2008 की बात है.’ हालांकि, हेडली ने अपनी पत्नी शाजिया संबंधी प्रश्नों का उत्तर देने से इनकार कर दिया. उसने कहा, ‘शाजिया अब भी कानूनी रूप से मेरी पत्नी है. मैं यह खुलासा नहीं करना चाहता कि शाजिया इस समय कहां है. मैं अपनी पत्नी शाजिया के बारे में किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं देना चाहता.’
हेडली ने बताया कि उसकी पत्नी कभी भारत नहीं आई और उसने लश्कर के साथ अपने संबंध के बारे में उसे बताया था. उसने कहा, ‘शाजिया कभी भारत नहीं आई. वह मूल रूप से पाकिस्तानी है. मैंने शाजिया को लश्कर के साथ मेरे संबंध के बारे में बताया था. मुझे यह याद नहीं है कि मैंने उसे यह कब बताया था.’ जब खान ने हेडली से पूछा कि यह खुलासा करने के बाद शाजिया की क्या प्रतिक्रिया थी, उसने कहा, ‘इस बारे में उसकी प्रतिक्रिया उसके और मेरे बीच की बात है. यह हमारा निजी रिश्ता है. मैं यह नहीं बताना चाहता कि उसने आपत्ति जताई थी या नहीं या उसने क्या कहा था. मैं इस बात को साझा नहीं करुंगा कि मेरे और मेरी पत्नी के बीच क्या हुआ.’
हालांकि उसने बताया कि उसकी पत्नी उसके नाम बदलने की योजना के बारे में जानती थी. हेडली ने कहा, ‘वह जानती थी कि मैं अपना नाम दाउद गिलानी से बदलकर डेविड कोलमैन हेडली रखने जा रहा हूं.’ जब खान ने हेडली से शाजिया के बारे में बार-बार प्रश्न पूछे तो विशेष सरकारी अभियोजक उज्ज्वल निकम ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि भारतीय साक्ष्य कानून की धारा 122 के तहत एक पति और पत्नी के बीच के संवाद को विशेषाधिकार प्राप्त है और इसके बारे में जानकारी देने की आवश्यकता नहीं है. इससे पहले हेडली ने 13 फरवरी को अमेरिका से एक वीडियो लिंक के जरिए मुंबई सत्र अदालत के समक्ष गवाही दी थी जो एक सप्ताह तक चली थी.
अमेरिका में 35 साल कारावास की सजा काट रहे हेडली ने पूर्व में दी गयी अपनी गवाही में बताया था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकवादी संगठनों लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन को किस प्रकार ‘वित्तीय, सैन्य एवं नैतिक समर्थन’ मुहैया कराती है और लश्कर ने किस प्रकार मुंबई हमलों की साजिश रची और इन्हें अंजाम दिया. उसने यह भी दावा किया था कि गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड में मारी गयी इशरत जहां लश्कर की एक सदस्य थी.
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