विपक्ष का आरोप, योग दिवस के बहाने संप्रदायिक एजेंडा थोपना चाहती है सरकार

नयी दिल्ली: यूजीसी के एक दिशानिर्देश को लेकर आज गतिरोध पैदा हो गया जिसमें इसने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से कहा है कि आयुष मंत्रालय के योग प्रोटोकॉल का पालन करें जो 21 जून को योग दिवस समारोहों के दौरान ‘ओम’ और संस्कृत के कुछ श्लोकों के उच्चारण के साथ शुरू होगा.कांग्रेस ने जहां भाजपा नीत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2016 8:59 PM
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नयी दिल्ली: यूजीसी के एक दिशानिर्देश को लेकर आज गतिरोध पैदा हो गया जिसमें इसने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से कहा है कि आयुष मंत्रालय के योग प्रोटोकॉल का पालन करें जो 21 जून को योग दिवस समारोहों के दौरान ‘ओम’ और संस्कृत के कुछ श्लोकों के उच्चारण के साथ शुरू होगा.कांग्रेस ने जहां भाजपा नीत सरकार की ‘‘असंवेदनशील’ होने के लिए आलोचना की और कहा कि प्राचीन भारत का विषय योग भगवा दल का नहीं है वहीं जद यू ने इसे भारतीय जनमानस पर ‘‘सांप्रदायिक एजेंडा को थोपने’ का एक और प्रयास करार दिया.कांग्रेस प्रवक्ता पी सी चाको ने कहा, ‘‘योग प्राचीन भारत की महान शिक्षा है.

यह भाजपा का नहीं है. इसे लोगों के अभ्यास के लिए ज्यादा स्वीकार्य प्रणाली बनाया जाना चाहिए…संभवत: यह सरकार इन संवेदनशील पहलुओं से नावाकिफ है.’ जद यू के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘भारतीय जनमानस पर सांप्रदायिक एजेंडा को थोपने का यह एक और प्रयास है.हम इसके खिलाफ हैं. आप किसी मुस्लिम, सिख, ईसाई से ‘ओम’ कहने के लिए कैसे कह सकते हैं. मैं हिंदू हूं और मुझे कोई समस्या नहीं है लेकिन आप दूसरे धर्म के लोगों से कैसे कहेंगे. यह फिर सांप्रदायिकता है…आरएसएस का विभाजनकारी एजेंडा है. हम इसकी निंदा करते हैं.’ पिछले हफ्ते विश्वविद्यालयों को जारी पत्र में यूजीसी के सचिव जसपाल एस संधू ने कुलपतियों से योग दिवस मनाने के लिए अपने विश्वविद्यालयों और संबंधित निकायों में ‘‘व्यक्तिगत रुप से शामिल’ रहने को कहा है.

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