पर्रिकर ने कहा कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से महिलाओं को सशस्त्र बलों में शामिल किए जाने और सैनिक स्कूलों में लड़कियों को प्रवेश देने पर विचार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत झांसी की रानी और दुर्गा जैसी महिलाओं का देश है लेकिन कई कारणों से महिलाओं को दूर रखा जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं रक्षा मंत्री बना था तो मैंने सोचा कि हमें सामरिक पहल करने की जरुरत है.’ उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में मुख्यत: पुरुषों का वर्चस्व है.
अगर सेना और नौसेना को महिलाओं की भूमिका के लिए खोल दिया जाता है तो अमेरिका और इस्राइल सहित विश्व के उन देशों में भारत शामिल हो जाएगा जहां इस तरह की व्यवस्था है. फिक्की एफएलओ की तरफ से आयोजित सेमिनार में उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह का विचार है कि सैनिक एक महिला कमांडिंग अधिकारी की बात नहीं सुनेंगे क्योंकि उन्हें ऐसा करने का प्रशिक्षण नहीं होता. मैं इससे सहमत नहीं हूं क्योंकि आज एकमात्र बाध्यता ढांचागत सुविधा की है.’
उन्होंने कहा, ‘‘महिलाएं लडाकू भूमिका में भी हो सकती हैं. पूरी महिला टीम, महिलाओं की बटालियन क्यों नहीं हो सकती. इसलिए पुरुषों की टीम का नेतृत्व महिला अधिकारियों के करने के सवाल पर अगर शुरुआती विरोध की बात है तो इसका भी ध्यान रखा जा सकता है.’