वीरभद्र के खिलाफ पीएमएलए मामला : अदालत ने ईडी से सीलबंद लिफाफे में मांगे दस्तावेज

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय से उन दस्तावेजों को एक सीलबंद लिफाफे में रख कर अदालत में पेश करने को कहा है जिनके आधार पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ कथित धन शोधन के मामले में उनके परिसरों की तलाशी ली गई थी और वहां से दस्तावेज जब्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2016 10:22 AM
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नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय से उन दस्तावेजों को एक सीलबंद लिफाफे में रख कर अदालत में पेश करने को कहा है जिनके आधार पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ कथित धन शोधन के मामले में उनके परिसरों की तलाशी ली गई थी और वहां से दस्तावेज जब्त किए गए थे. न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने कहा ‘‘प्रवर्तन निदेशालय और अन्य को मामले की अगली सुनवाई से पहले एक सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया जाता है.” मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी.

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, वीरभद्र की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने कहा कि उन्होंने अपनी मुख्य याचिका में संशोधन के लिए एक आवेदन दाखिल किया है. केंद्र सरकार के वकील अमित महाजन ने कहा कि उनके पास उन दस्तावेजों की प्रति है जिनके आधार पर तलाशी ली गई थी और दस्तावेज जब्त किए गए थे. इससे पहले, उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय की खिंचाई करते हुए कहा था कि वह ‘सुपर इन्वेस्टिगेटर’ की तरह काम नहीं कर सकता. अदालत ने यह भी कहा था कि उसके साथ रिकॉर्ड्स साझा नहीं किए गए हैं.

उच्च न्यायालय ने कहा था कि वह केवल यह देखने के लिए ही रेकॉर्ड का अवलोकन करेगा कि प्रवर्तन निदेशालय ने संबद्ध प्राधिकारियों के समक्ष आवास की तलाशी और दस्तावेज जब्त करने के लिए ‘कौन से कारण’ बताए थे क्योंकि याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि तलाशी लेने और दस्तावेज जब्त करने के लिए कोई कारण नहीं था. बहरहाल, उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि वह कारणों के बारे में याचिकाकर्ताओं के समक्ष कोई खुलासा नहीं करेगा. याचिकाकर्ताओं ने अपने खिलाफ धन शोधन निरोधक कानून :पीएमएलए: के तहत चल रही कार्रवाई रद्द करने की मांग भी की थी.

अपनी अपील में वीरभद्र सिंह और अन्य ने 19 अप्रैल को संबद्ध प्राधिकारियों के आदेश तथा 12 मई के अपीली न्यायाधिकरण के उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी जिसमें वह कारण बताए जाने का अनुरोध किया था जिनके चलते तलाशी ली गई और दस्तावेज जब्त किए गए थे. वीरभद्र ने तर्क दिया था कि तलाशी का कारण अवैध, एकपक्षीय एवं रद्द करने योग्य था. उनकी याचिका में यह भी कहा गया था कि प्रवर्तन निदेशालय अपने द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों को रखे रहना चाहता है इसलिए उसकी अपील पर उन्हें कोई नोटिस जारी किए बिना ही एक पक्ष बनाया लिया गया.

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