आपको बता दें कि पिछले साल जून में भी भारतीय सेना ने म्यांमार के अंदर घुसकर कार्रवाई को अंजाम दिया था. यह कार्रवाई मणिपुर में 18 जवानों की हत्या के जवाबी हमले के रूप में की गई थी. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले सेइंडियन एक्सप्रेसअखबार ने छापा है कि यह रेड एनएससीएन(के) पर दबाव बनाए रखने के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशंस का एक हिस्सा है. ऐसे ऑपरेशन लगातार चल रहे हैं और आगे भी ऐसा देखने को मिल सकता है.
शुक्रवार को भारतीय सेना के अधिकारियों ने सैन्य दस्ते के भारत-म्यांमार सीमा पार करने की बात से इनकार कर दिया था, हालांकि जानकारों की माने तो कई दशकों से भारतीय सेना म्यांमार में घुसकर उग्रवादियों पर हमला कर रही है लेकिन ऐसी कार्रवाई को सार्वजनिक नहीं किया जाता है.
इस संबंध में भारत-म्यांमार सीमा सुरक्षा से जुड़े एक नौकरशाह ने जानकारी दी कि म्यांमार भारत की चिंताओं से अवगत हैं , लेकिन इस बात को वह सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं कर सकता कि वह अपनी सीमा में भारतीय ऑपरेशंस को अनुमति प्रदान करता है. गत वर्षों में कुछ लोगों ने जब इस बात को सार्वजनिक किया तो काफी परेशानी उत्पन्न हो गई थी जिसे शांत करने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार हुई फायरिंग के बाद मोन जिले के एसपी यांग्बा कोनयाक के नेतृत्व में नागालैंड पुलिस अधिकारी चेन मोहो गांव की ओर रवाना हुए. उन्हें यह डर था कि फायरिंग के दौरान कहीं भारतीय सीमा में रहने वाले नागरिक न हताहत हो जायें. दिल्ली में बैठे अधिकारियों ने जानकारी दी कि 12 पैरा यूनिट जंगल में थोइलू गांव के करीब उग्रवादियों के कैंप के करीब पहुंची, लेकिन उग्रवादियों को इस बात की भनक पहले से लग गई. सुबह छह बजे तक फायरिंग की गई.
इधर, एनएससीएन(के) ने दावा किया है कि फायरिंग में पांच से छह भारतीय कमांडो मारे जा चुके हैं हलांकि भारतीय सेना ने इसे खारिज किया है.