कश्मीर: पूरी घाटी में कर्फ्यू, ड्रोनों से हो रही है निगरानी, इंटरनेट सेवा बंद

श्रीनगर : भारत प्रशासित कश्मीर में बकरीद के मौके पर अलगाववादियों के संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक के कार्यालय तक मार्च की अपील को देखते हुए प्रशासन ने घाटी के सभी दस ज़िलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है, इतना ही नहीं मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है. कई साल में पहली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2016 10:53 AM
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श्रीनगर : भारत प्रशासित कश्मीर में बकरीद के मौके पर अलगाववादियों के संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक के कार्यालय तक मार्च की अपील को देखते हुए प्रशासन ने घाटी के सभी दस ज़िलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है, इतना ही नहीं मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है. कई साल में पहली बार आज अधिकारियों ने कश्मीर घाटी के सभी 10 जिलों में ईद के मौके पर कर्फ्यू लगाया है.

घाटी में निगरानी के लिए हेलीकॉप्टरों और ड्रोनों को तैनात किया गया है. अलगाववादियों की ओर से संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय अधिकारियों तक मार्च निकालने के आह्वान के मद्देनजर बडी संख्या में लोगों के जुटने पर प्रतिबंध लगाया गया है. यह मार्च संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र की शुरुआत के दिन ही पड रहा है. महासभा के सत्र की शुरुआत आज न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर हो रही है. अधिकारियों ने कहा कि सेना को तैयार रहने के लिए कहा गया है. यदि घाटी में ताजा हिंसा भडकती है तो सेना हस्तक्षेप करेगी. घाटी में पिछले दो माह से भी ज्यादा समय से तनाव व्याप्त है और अब तक 75 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों के महत्वपूर्ण स्थानों पर सेना के जवानों को तैनात किया गया है. ये वे इलाके हैं, जहां पूर्व में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं. कर्फ्यू बीती आधी रात से लगाया गया है.

वर्ष 1990 में राज्य में आतंकवाद के पैर फैलाने के बाद से यह संभवत: पहली बार है, जब ईद के मौके पर घाटी में कर्फ्यू लगा है. सूत्रों ने बताया कि हेलीकॉप्टरों और ड्रोनों के जरिए आसमान से कडी निगरानी रखी जा रही है. कुछ इलाकों में लोगों के जुटने पर ड्रोन सुरक्षा बलों को पहले ही चेतावनी दे देंगे. अलगाववादियों की ओर से हिंसा की आशंका के बीच सुरक्षा बल बडी संख्या में सडकों पर तैनात हैं. विरोध प्रदर्शनों के दौरान अलगाववादी महिलाओं और बच्चों का इस्तेमाल ‘ढाल’ के तौर पर करते हैं, जिससे इन रैलियों में बडी संख्या में नागरिक हताहत होते आए हैं. आतंकवाद के उभार के बाद 26 साल में यह पहली बार है कि जब यहां ईदगाह और हजरतबल मस्जिदों में ईद की नमाज आयोजित नहीं की जाएगी.

सूत्रों ने बताया कि लोगों को स्थानीय मस्जिदों में नमाज अदा करने की अनुमति होगी. राज्य में कानून और व्यवस्था की तनावपूर्ण स्थिति के कारण सरकार पहले से ही सभी टेलीकॉम नेटवर्कों की इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के आदेश दे चुकी है. सरकारी दूरसंचार सेवा बीएसएनएल के अलावा सभी नेटवर्कों की मोबाइल सेवा भी अगले 72 घंटे तक बंद रहेगी.

आठ जुलाई को सुरक्षा बलों द्वारा हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी को मार गिराए जाने के बाद से यहां मोबाइल सेवाएं प्रतिबंधित हैं. 27 जुलाई को ब्रॉडबैंड इंटरनेट शुरु करके ये सेवाएं आंशिक रुप से बहाल की गई थीं. विपक्षी दल नेशनल कांफ्रेंस ने कर्फ्यू लगाने के फैसले को लेकर सरकार की आलोचना की और कहा कि इससे पार्टी का यह दावा सच साबित हो गया कि महबूबा मुफ्ती की सरकार का हालात पर कोई नियंत्रण नहीं है.

नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘पीडीपी इस स्थिति की तुलना 2010 के आंदोलन से करती आई है लेकिन आज से पहले कभी भी ईद जैसे मुबारक मौके पर यहां कर्फ्यू नहीं रहा है.’

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