कैसे पाक का हाथ थामने वाले शख्स से लेकर सर्जिकल ऑपरेशन करने वाला शख्स बने PM मोदी?
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने उरी हमले पर दुख जताते हुए पाकिस्तान को सीधा संदेश दिया था जिसमे उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के हुक्मरान सुन लें भारत इस दर्द को भूलने वाला नहीं है.साथ ही उन्होंने देशवासियों को भरोसा दिलाया था कि हमारे 18 जवानों की शहादत बेकार नहीं जायेगी. उस वक्त […]
By Prabhat Khabar Digital Desk | September 29, 2016 6:12 PM
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने उरी हमले पर दुख जताते हुए पाकिस्तान को सीधा संदेश दिया था जिसमे उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के हुक्मरान सुन लें भारत इस दर्द को भूलने वाला नहीं है.साथ ही उन्होंने देशवासियों को भरोसा दिलाया था कि हमारे 18 जवानों की शहादत बेकार नहीं जायेगी. उस वक्त प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने सीधे संकेत दे दिया था कि वो इस दर्द का जवाब जरूर देंगे. आज खबर आयी कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में दो किलोमीटर अंदर घुस कर भारतीय फौज ने सर्जिकल स्ट्राइक की. इस खुफिया मिशन में कई आतंकी और आतंकियों के ठिकाने को ध्वस्त कर दिया गया.
यह दूसरी बार है जब भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया है. इससे पहले म्यामांर बॉर्डर पर भारतीय सेना ने इसी तरह एक खुफिया मिशन को अंजाम दिया था. भारत इस फैसले तक कैसे पहुंचा? मोदी के कार्यकाल में हुए इन दो स्ट्राइक ने दुनिया को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि भारत कोई शॉफ्ट स्टेट नहीं है, जिसे आसानी से निशाना बना ले. म्यांमार में भी ऑपरेशन को अंजाम पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठन द्वारा 20 जवानों को शहीद किये जाने के बाद दिया गया था. इन दोनों ऑपरेशन की क्लोज मानिटरिंग एनएसए अजीत डोभाल ने की.दोनों स्ट्राइक में अंतर यह है कि म्यांमार की सीमा पर पर किये गये ऑपरेशन के लिए बेहतर रिश्तों के कारण उसे भरोसे में लिया गया था, लेकिन पाकिस्तान अधिकृत इलाके में बिना सूचना सीधी कार्रवाई की गयी.
सवाल उठता है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद की गयी शानदार कूटनीतिक शुरुआत के बावजूद भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में कैसे धीरे-धीरे खटास बढ़ती गयी? नयी सरकार के बेहतर संबंध स्थापित करने के प्रयास को कैसे झटका लगा? सवाल कई हैं लेकिन भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय मंच पर इन दो सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बदली है.