भाषा का कोई धर्म नहीं होता, उर्दू और हिंदी बहनें : अहमद नोमान

नयी दिल्ली : उर्दू जबान की तरक्की के लिए फिक्रमंद साहित्यकारों और शिक्षाविदों का मानना है कि इस भाषा को सिर्फ मुसलमानों की जबान के तौर पर पेश कर एक दायरे में सीमित करने की कोशिशें की जा रही हैं जबकि असलियत यह है कि यह पूरे देश में और विभिन्न समुदायों में बोली जाती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 8, 2016 3:40 PM
feature

नयी दिल्ली : उर्दू जबान की तरक्की के लिए फिक्रमंद साहित्यकारों और शिक्षाविदों का मानना है कि इस भाषा को सिर्फ मुसलमानों की जबान के तौर पर पेश कर एक दायरे में सीमित करने की कोशिशें की जा रही हैं जबकि असलियत यह है कि यह पूरे देश में और विभिन्न समुदायों में बोली जाती है और इसके विकास में सभी का अहम योगदान है. इसके अलावा उर्दू और हिन्दी छोटी और बडी बहने हैं और इनमें आपस में कोई टकराव नहीं है.

संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version