नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश में रविवार तड़के कानपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर पुखरायां में इंदौर से पटना जा रही दुर्घटनाग्रस्त हुई इंदौर-पटना एक्सप्रेस में अब तक मृतकों की संख्या 133 हो गई है. इस दुर्घटना के पीछे आइसीएफ कोच (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री )को जिम्मेदार बताया जा रहा है.
इस संबंध में आज अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने खबर प्रकाशित की है. खबर की माने तो इंदौर-पटना एक्सप्रेस में आइसीएफ कोच लगे हुए थे जो इस भीषण दुर्घटना का एक कारण हो सकता है. ये कोच दुर्घटना के वक्त भयावह हो जाते हैं जिसके कारण ज्याद नुकसान होता है. आइसीएफ कोच में उपलब्ध सुविधा मॉडर्न लिंक हॉफमैन बुस्च (एलएचबी) से बिलकुल अलग है. एलएचबी कोच की सुविधा राजधानी और शताब्दी में दी गई है. एलएचबी कोच की खासियत यह है कि दुर्घटना होने पर नुकसान ज्यादा नहीं होता है.
यहां उल्लेख करते चलें कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल बजट (2015-16 ) में भरोसा दिलाया था कि जल्द ही सभी ट्रेनों को एलएचबी कोच से लैस कर दिया जाएगा और आइसीएफ कोच को हटा लिया जाएगा लेकिन करीब एक साल के बाद भी ऐसा नहीं हो पाया या ऐसा होता नहीं दिख रहा है. रेलवे बोर्ड का कहना है कि एलएचबी कोच बनाने का कार्य जारी है लेकिन बड़ी संख्या में जल्द एलएचबी कोच नहीं बनाया जा सकता है. आइसीएफ कोच को उच्च श्रेणी का बनाया जा रहा है जबकि प्रत्येक वर्ष पर्याप्त संख्या में एलएचबी कोच बनाने का कार्य जारी है.
खबर के अनुसार अभी करीब 55,000 आइसीएफ कोच ट्रेनों में हैं जबकि मात्र 5,000-8,000 के करीब एलएचबी कोच ट्रेनों में लगे हुए हैं. सूत्रों के अनुसार मंत्रालय ने कहा है कि सुरेश प्रभु ने एक आदेश जारी कर कहा है कि ट्रेनों को जल्द से जल्द एलएचबी कोचों से लैस किया जाए. यह आदेश रेल मंत्री ने रेल बजट के फौरन बाद दिया था लेकिन रेलवे बोर्ड ने उनसे इसपर विचार करने को कहा है.
गौरतलब है कि आइसीएफ कोच 1950 का डिजाइन किया हुआ है जिसका निर्माण चेन्नई में होता है. आइसीएफ का पूरा नाम इंटीग्रल कोच फैक्ट्री है.
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