!!अनिल साक्षी!!
प्राथमिक जांच कहती है कि आतंकियों ने 50 किमी का सफर ढाई से तीन घंटों में तय किया था. वे बॉर्डर को पार करने के बाद सीधे नगरोटा आये थे, क्योंकि उन्होंने पहले ही हमले के स्थल को चुना हुआ था. यह उनसे मिले उस पर्चे से भी साबित होता है, जिसमें उन्होंने नगरोटा का उल्लेख करते हुए लिखा था कि यह हमला अफजल गुरू की मौत का बदला लेने के लिए था.
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर आतंकी इतनी तेजी से कैसे नगरोटा तक पहुंच गये. दरअसल बीएसएफ का दावा है कि रात ढाई तीन बजे के करीब उसने सीमा पर आतंकियों की हलचल देखी थी और फिर उसके ढाई- तीन घटों के बाद नगरोटा में हमले की खबर सामने आयी थी. जांच एजेंसियां कह रहीं कि आतंकियों ने तवी नदी और नदी नालों का रास्ता अख्तियार किया होगा. एक आशंका इस बात को लेकर है कि घुसपैठ के बाद आतंकियों को उनके मददगारों ने वाहन की मदद से नगरोटा तक पहुंचाया होगा. याद रहे बॉर्डर से नगरोटा तक का वाहन से किया जाने वाला सफर राजमार्ग के रास्ते हो तो एक घंटे में हो जाता है और अगर गांवों के रास्ते इसे पूरा किया जाये, तो दो से ढाई घंटे लग जाते हैं. इसका अर्थ यह है कि चेकिंग प्वाइंट पर सही तरीके से जांच नहीं की गयी. इसके पहले भी आतंकी सीमा पर तारबंदी को काट कर भारतीय सीमा में घुसे थे और फिदायीन हमलों को अंजाम दिया था.
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