जम्मू कश्मीर में इस साल शहीद हुए 60 जवान, घाटी में आतंकी घटनाओं में हुआ इजाफा

नयी दिल्ली/कश्‍मीर : भारतीय सेना ने पिछले साल के मुकाबले इस साल अबतक लगभग दोगुने जवानों को खो दिया है जिसका मुख्‍य कारण सीजफायर का उल्लंघन, घुसपैठ और पाकिस्तान आर्मी एक्शन टीम के लाइन ऑफ कंट्रोल पर किए जा रहे हमले हैं. आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए जम्मू-कश्‍मीर में चल रहे ऑपरेशन में भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2016 10:00 AM
feature

नयी दिल्ली/कश्‍मीर : भारतीय सेना ने पिछले साल के मुकाबले इस साल अबतक लगभग दोगुने जवानों को खो दिया है जिसका मुख्‍य कारण सीजफायर का उल्लंघन, घुसपैठ और पाकिस्तान आर्मी एक्शन टीम के लाइन ऑफ कंट्रोल पर किए जा रहे हमले हैं. आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए जम्मू-कश्‍मीर में चल रहे ऑपरेशन में भी काफी जवानों को जान गंवानी पड़ी है.

इस संबंध में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि 15 दिसंबर तक जम्मू कश्मीर में 60 जवान शहीद हुए थे. वहीं 2015 में शहीद होने वाले जवानों की संख्या 33 थी और 2014 में यह संख्‍या 32 थी. 60 में से 23 जवानों ने लाइन ऑफ कंट्रोल पर होने वाले सीजफायर और ऑपरेशन्स में अपनी जान गंवाई जबकि 2015 में ऐसी कार्रवाई में सिर्फ चार और 2014 में सिर्फ पांच जवान शहीद हुए थे.

आंतरिक इलाकों में हुई मुठभेड़ में अबतक 37 जवान शहीद हुए हैं जबकि 2015 में ऐसे हमलों में 29 जवान और 2014 में 27 जवानों ने कुर्बानी दी थी. आर्मी अफसर ने इस बाबत कहा है कि आंतरिक इलाकों में शहीद होने वालों की संख्या दो बड़े हमलों के कारण ज्यादा है.

यहां उल्लेख कर दें कि उरी और नगरोटा हमले को आतंकियों ने इसी वर्ष अंजाम दिया था. उरी हमले में 19 जवान शहीद हो गए थे जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था और वहां कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही सीमा पर सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं बढ़ गईं हैं.

सीजफायर में दोनों ही देशों की तरफ से भारी हथियारों का इस्तेमाल हुआ जिसमें तोप भी शामिल हैं.

पिछले तीन हफ्तों की बात करें तो सीजफायर का उल्लंघन कम है. इस संबंध में अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आर्मी के अफसरों ने यह भी माना कि घाटी में आतंक काफी बढ़ गया है. इस वर्ष 100 से ज्यादा आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है. मारे गए आतंकियों में से ज्यादातर घुसपैठ के दौरान मारे गए.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version