इस संबंध में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि 15 दिसंबर तक जम्मू कश्मीर में 60 जवान शहीद हुए थे. वहीं 2015 में शहीद होने वाले जवानों की संख्या 33 थी और 2014 में यह संख्या 32 थी. 60 में से 23 जवानों ने लाइन ऑफ कंट्रोल पर होने वाले सीजफायर और ऑपरेशन्स में अपनी जान गंवाई जबकि 2015 में ऐसी कार्रवाई में सिर्फ चार और 2014 में सिर्फ पांच जवान शहीद हुए थे.
आंतरिक इलाकों में हुई मुठभेड़ में अबतक 37 जवान शहीद हुए हैं जबकि 2015 में ऐसे हमलों में 29 जवान और 2014 में 27 जवानों ने कुर्बानी दी थी. आर्मी अफसर ने इस बाबत कहा है कि आंतरिक इलाकों में शहीद होने वालों की संख्या दो बड़े हमलों के कारण ज्यादा है.
यहां उल्लेख कर दें कि उरी और नगरोटा हमले को आतंकियों ने इसी वर्ष अंजाम दिया था. उरी हमले में 19 जवान शहीद हो गए थे जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था और वहां कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही सीमा पर सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं बढ़ गईं हैं.
सीजफायर में दोनों ही देशों की तरफ से भारी हथियारों का इस्तेमाल हुआ जिसमें तोप भी शामिल हैं.
पिछले तीन हफ्तों की बात करें तो सीजफायर का उल्लंघन कम है. इस संबंध में अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आर्मी के अफसरों ने यह भी माना कि घाटी में आतंक काफी बढ़ गया है. इस वर्ष 100 से ज्यादा आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है. मारे गए आतंकियों में से ज्यादातर घुसपैठ के दौरान मारे गए.