ओपिनियन पोल : उत्तराखंड में ”अबकी बार, भाजपा सरकार”

नयी दिल्ली: उत्तराखंड की 70 सीटों पर 15 फरवरी को मतदान होने हैं और 11 मार्च को होली से पहले नई सरकार यहां बन जाएगी. उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है, लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस उत्तराखंड में सरकार बचा पाएगी या फिर भाजपा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2017 6:47 PM
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नयी दिल्ली: उत्तराखंड की 70 सीटों पर 15 फरवरी को मतदान होने हैं और 11 मार्च को होली से पहले नई सरकार यहां बन जाएगी. उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है, लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस उत्तराखंड में सरकार बचा पाएगी या फिर भाजपा सत्ता में आएगी? इन सवालों के बीच एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस ने ओपिनियन पोल किया है, जिसके अनुसार सूबे में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी.

ओपिनियन पोल की माने तो कांग्रेस को 36 प्रतिशत तो भाजपा को 39 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिल रहा है जबकि बीएसपी को 6 प्रतिशत तो अन्य को 19 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिलता नजर आ रहा है. वहीं, सीएम की बात करें तो कांग्रेस के मुख्‍यमंत्री हरीश रावत लोगों के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय हैं. यहां सबसे अहम बात यह है कि दिसंबर से जनवरी के बीच हरीश रावत की लोकप्रियता में भारी इजाफा हुआ है. 31 प्रतिशत लोग हरीश रावत को सीएम के रूप में पहली पसंद बताते दिख रहे हैं. 14 प्रतिशत लोग बी. सी. खंडूरी को अपनी पसंद बता रहे हैं.

ओपिनियन पोल के अनुसार, गढ़वाल की 25 सीटों में भाजपा आगे दिख रही है. यहां उसे 47 प्रतिशत तो कांग्रेस को महज 34 प्रतिशत समर्थन मिलता नजर आ रहा है. बीएसपी पर एक प्रतिशत तो अन्य पर 18 प्रतिशत लोग भरोसा जताते दिख रहे हैं. कुमांऊ की बात करें तो, यहां की 22 सीटों पर कांग्रेस भाजपा पर भारी पड़ रही है. यहां कांग्रेस को 43 प्रतिशत तो भाजपा को 34 प्रतिशत समर्थन मिल सकता है जबकि यहां बीएसपी को 7 तो अन्य को 16 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है.

मैदानी इलाके की 23 सीटों में फिर भाजपा कांग्रेस को पटखनी देती दिख रही है. यहां पर भाजपा को 39 प्रतिशत तो कांग्रेस को 33 प्रतिशत समर्थन मिलने की संभावना ओपिनियन पोल में जताई जा रही है जबकि बीएसपी पर 7 प्रतिशत तो अन्य पर 21 प्रतिशत लोग भरोसा जता रहे हैं. ओपिनियन पोल के अनुसार ,विकास ही सबसे सूबे में बड़ा चुनावी मुद्दा है. 33 प्रतिशत लोग विकास को तो 16 प्रतिशत लोग बेरोजगारी को चुनावी मुद्दा मानते हैं.

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