मोदी-एर्दोगान ने कहा, आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया जा सकता

नयी दिल्ली . भारत और तुर्की ने आतंकवाद के लगातार बढ़ते खतरे को ‘एक साझा चिंता’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि कोई भी कारण या तर्क आतंकवाद को जायज नहीं ठहरा सकता और इस तरह की ताकतों को पनाह एवं मदद देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 1, 2017 6:56 PM
feature

नयी दिल्ली . भारत और तुर्की ने आतंकवाद के लगातार बढ़ते खतरे को ‘एक साझा चिंता’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि कोई भी कारण या तर्क आतंकवाद को जायज नहीं ठहरा सकता और इस तरह की ताकतों को पनाह एवं मदद देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के दौरे पर आये तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैयब एर्दोगान के साथ व्यापक चर्चा की और राजनीतिक एवं आर्थिक सहित द्विपक्षीय संबंधों के विस्तृत क्षेत्रों का जायजा लिया. मोदी ने एर्दोगान के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम ऐसे समय में जी रहे हैं जहां हमारे समाज हर दिन नये खतरे एवं चुनौतियों से जूझ रहे हैं. दुनिया भर में कुछ मौजूदा एवं उभरती सुरक्षा चुनौतियों का संदर्भ एवं आकार हमारे लिए समान चिंता का विषय हैं.’ उन्होंने कहा, ‘विशेष तौर पर आतंकवाद का बढ़ता खतरा हमारे लिए साझा चिंता है. मैंने इस विषय पर तुर्की के राष्ट्रपति के साथ विस्तृत बातचीत की. हमारे बीच सहमति बनी कि आतंकवाद को कोई भी इरादा या लक्ष्य या कारण या तर्क जायज नहीं ठहरा सकता़’

प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों की तरफ साफ संकेत करते हुए आतंकवादी नेटवर्कों एवं उनके वित्तपोषण को रोकने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत और आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही पर रोक लगाने पर भी मजबूती से जोर दिया. मोदी ने कहा, ‘राष्ट्रपति (एर्दोगान) और मैं इस समस्या से प्रभावशाली तरीके से निपटने की खातिर हमारे द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय दोनों सहयोग को मजबूत करने के लिए साथ काम करने पर भी सहमत हुए़ एर्दोगान ने कहा कि ‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उनका देश हमेशा भारत के साथ रहेगा और आतंकियों को उनके ही बहाए खून में डूबो दिया जायेगा.’

भारत की यात्रा से पहले एर्दोगान ने क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए कश्मीर मुद्दे का हल करने की खातिर एक बहुपक्षीय वार्ता की वकालत की थी. उन्होंने विओन समाचार चैनल से एक साक्षात्कार में कहा, ‘हमें (कश्मीर में) और लोगों को हताहत नहीं होने देना चाहिए़ बहुपक्षीय वार्ता करके (जिसमें हम शामिल हो सके), हम इस मुद्दे का एक बार में हमेशा के लिए समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं.’ गौरतलब है कि एर्दोगान की शासकीय शक्तियों को आगे समेकित करने के लिए 16 अप्रैल को कराये गये विवादास्पद जनमत संग्रह में जीत हासिल करने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version