नयी दिल्ली. ‘क्रोधित’ भारत ने बुधवार को पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया और दो भारतीय सैनिकों को मार कर उनका सिर काटने की घटना में पाकिस्तानी सेना की संलिप्त्ता के बारे में ‘पर्याप्त सबूत’ दिये. भारत ने एक मई को जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर कृष्णा घाटी सेक्टर में हुए ‘क्रूर कृत्य’ को अंजाम देनेवालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने बताया कि विदेश सचिव एस जयशंकर ने पाकिस्तानी सैन्य कर्मियों द्वारा एक मई 2017 को दो भारतीयों को मारने और उनके शव क्षतविक्षत करने पर भारत की नाराजगी जाहिर करने के लिए बासित को तलब किया. भारत ने पाकिस्तान से यह भी कहा कि सैनिकों को मारना उकसावे की कार्रवाई है और सभ्य आचरण के सभी मानदंडों के विपरीत है.
बागले ने कहा कि यह बात महत्वपूर्ण है कि हमले को बट्टल गांव के अंतर्गत आनेवाले बट्टल सेक्टर में पाकिस्तानी चौकियों से की जा रही गोलीबारी की आड़ में अंजाम दिया गया. उन्होंने बताया कि घटनास्थल से एकत्र किये गये रक्त के नमूने दोनों भारतीय सुरक्षा कर्मियों के रक्त से मिल गये. उन्होंने आगे बताया कि बिखरे हुए खून के निशानों का पीछा करने पर पता चला कि हमलावर पाक अधिकृत कश्मीर से भारतीय हिस्से में आये और हमले को अंजाम दे कर वापस लौट गये.
बागले ने कहा कि भारत के पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि इस कार्रवाई को पाकिस्तानी सैनिकों ने अंजाम दिया जिन्होंने नियंत्रण रेखा पार की. यह बात पाकिस्तानी उच्चायुक्त को बतायी गयी. बासित की प्रतिक्रिया के बारे में पूछने पर प्रवक्ता ने बताया ‘बेशक, पाकिस्तानी दूत ने अपने देश की सेना की संलिप्तता से इनकार किया. बहरहाल, उन्होंने कहा कि वह डिमार्शे की सामग्री से अपनी सरकार को अवगत करायेंगे.’ पाकिस्तान ने मंगलवारको इस मुद्दे पर भारत से उसके दावे के समर्थन में ‘कार्रवाई योग्य प्रमाण’ मांगे थे.
एक मई 2017 को नायब सूबेदार परमजीत सिंह और बीएसएफ के हेड कॉन्स्टेबल प्रेम सागर को पाकिस्तान बाॅर्डर एक्शन टीम के सैनिकों ने जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में भारतीय भू-भाग में 250 मीटर अंदर तक प्रवेश कर मार डाला और उनके शवों को क्षतविक्षत कर डाला था. भारतीय सैन्य अभियानों के महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट ने मंगलवारको अपने पाकिस्तानी समकक्ष से कहा था कि यह ‘कायरतापूर्ण एवं अमानवीय कृत्य’ सभ्यता के सभी मानकों से परे है और इसकी कड़े शब्दों में भर्त्सना की जानी चाहिए तथा समुचित जवाब दिया जाना चाहिए. भावी कार्रवाई के बारे में पूछने पर बागले ने कहा कि वह कोई अनुमान नहीं लगायेंगे. ‘इंतजार कीजिये और देखिये कि क्या कदम उठाये जायेंगे.’
एक संबंधित घटनाक्रम में उन 50 पाकिस्तानी छात्रों को वापस भेज दिया गया जो एक गैर सरकारी संगठन के आमंत्रण पर भारत आये थे. मंत्रालय ने इस गैर सरकारी संगठन को इन छात्रों की ऐसे समय पर मेजबानी न करने की सलाह दी जो भारतीय सैनिकों के शवों के साथ बेअदबी की घटना के बाद ‘उचित’ नहीं है. पाकिस्तान की स्क्वाश एवं कुश्ती टीमों को वीजा देने से इनकार संबंधी खबरों पर बागले ने कहा कि स्क्वाश टीम को जिस मैच में हिस्सा लेना था, उस मैच से बहुत पहले ही उसे वीजा दिया जा चुका था, लेकिन उन्होंने नहीं लिया. उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी पहलवानों के बारे में खेल मंत्री विजय गोयल पहले ही अपना पक्ष रख चुके हैं. गोयल ने कहा था ‘आतंकवाद और खेल साथ-साथ नहीं चल सकते और पाकिस्तान को यह समझना होगा.’ दोनों टीमें यहां एशियनचैंपियनशिपमें हिस्सा लेनेवाली थीं.
यह पूछे जाने पर कि भारत ने पाकिस्तान को ‘सर्वाधिक तरजीही देश’ का दरजा क्यों दिया हुआ है, बागले ने कहा कि ‘सर्वाधिक तरजीही देश’ का दरजा पाकिस्तान को देना विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्यों के लिए एक बाध्यता है और सभी सदस्योें को एक दूसरे के साथ ऐसा करना होता है. उन्होंने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि पर करीब दो माह पूर्व हुई बातचीत के तहत मंत्रालय का रुख भी दोहराया. कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैयब एर्दोआन ने बहुपक्षीय बातचीत का सुझाव दिया है
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