कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में भारतीय जनता पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. 2018 में 104 सीट लाने वाली बीजेपी को मौजूदा चुनाव में केवल 66 सीटों पर ही जीत मिली. जबकि कांग्रेस ने राज्य में धमाकेदार जीत दर्ज करते हुए 135 सीटें हासिल की. कर्नाटक में हार के बाद बीजेपी राजस्थान और मध्य प्रदेश में होने वाली विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति में बदलाव किया है.
सत्ता विरोधी लहर और इस नीति पर काम करेगी बीजेपी
इस साल के आखिर में चार राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होना है. इनमें से केवल मध्य प्रदेश में भाजपा का शासन है. बीजेपी अन्य तीन राज्यों में सत्ता वापस पाने के लिए रिवॉल्विंग डोर नीति और सत्ता विरोधी लहर को अपने पक्ष में करने के लिए काम करेगी.
टिकट बंटवारे पर भी काम करेगी बीजेपी
कर्नाटक चुनाव में करारी हार के बाद बीजेपी आगामी चार राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर अधिक सतर्क हो गयी है. पार्टी सभी चार राज्यों में नेतृत्व के मुद्दे और उम्मीदवारों को तय करते समय जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखने का फैसला किया है. कर्नाटक में बीजेपी की हार के लिए उम्मीदवार के चयन को बड़ी वजह बताया जा रहा है. कर्नाटक चुनाव से पहले बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा को शीर्ष पद से हटा दिया. टिकट नहीं मिलने से जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सदावी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस में शामिल हो गये. दोनों नेता लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि दोनों के कांग्रेस में जाने से इस समुदाय का वोट कांग्रेस को चली गयी.
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छोटे दलों से गठबंधन करने से परहेज नहीं करेगी बीजेपी
कर्नाटक में करारी हार के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करने का फैसला किया है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि पार्टी ने तय किया है कि जरूरत पड़ने पर छोटे दलों के साथ चुनावी गठबंधन भी किया जा सकता है.
बीजेपी को स्थानीय नेताओं पर करना होगा फोकस
कर्नाटक में कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत की वजह है, केंद्रीय नेताओं के साथ-साथ स्थानीय नेताओं पर भ्ररोसा करना. वहीं बीजेपी की बात करें, तो पार्टी यहीं पर पिछड़ गयी. कर्नाटक चुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में अधिकतर केंद्रीय नेता शामिल रहे. बीजेपी को कर्नाटक में हार के बाद अब स्थानीय नेताओं पर अधिक फोकस करना होगा. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पार्टी का चेहरा बने रहेंगे लेकिन उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और बीडी शर्मा जैसे अन्य नेताओं को अपने साथ लेने के लिए कहा जाएगा. वहीं राजस्थान में, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को वरीयता दी जाएगी. इसके अलावा किरोड़ी लाल मीणा, गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया और अन्य जैसे विभिन्न जाति समूहों से संबंधित राज्य के नेताओं को भी महत्व दिया जाएगा.
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