Agriculture: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में भूमि अधिग्रहण बन रही है बाधा

सिंचाई परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भूमि अधिग्रहण एक प्रमुख समस्या बन गयी है. हालांकि सरकार भूमि अधिग्रहण की समस्या को दूर करने के लिए जमीन के नीचे पाइप लाइन बनाने का काम कर रही है, लेकिन कई जगह पर ऐसा करना संभव नहीं है. मौजूदा समय में भूमिगत पाइप लाइन के जरिये लगभग 55290 किलोमीटर लंबे वितरण नेटवर्क का निर्माण किया गया है. इससे लगभग 76594 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण से बचने में मदद मिली है.

By Vinay Tiwari | July 24, 2025 5:54 PM
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Agriculture: देश के विकास में कृषि क्षेत्र का अहम योगदान है. कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सिंचाई सुविधा का होना काफी अहम है. मौजूदा समय में देश में सिंचाई सुविधा की काफी कमी है. इस कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2015-16 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गयी. इस योजना का मकसद खेतों तक पानी की सुविधा मुहैया कराना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करना, खेतों में जल उपयोग दक्षता में सुधार करना, स्थायी जल संरक्षण के उपाय को बढ़ावा देना है. 

केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) और हर खेत को पानी मुहैया कराना इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है. हर खेत को पानी मुहैया कराने के लिए कमान क्षेत्र विकास एवं जल प्रबंधन (सीएडी और डब्ल्यूएम), सतही लघु सिंचाई (एसएमआई), जलाशयों का मरम्मत, नवीनीकरण और पुनर्स्थापन (आरआरआर), और भूजल विकास करना है. 

केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी. इस योजना के तहत वाटरशेड विकास का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग द्वारा किया जा रहा है. जबकि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा क्रियान्वित प्रति बूंद अधिक फसल का क्रियान्वयन करता है. 

भूमिगत पाइप लाइन का हो रहा है विस्तार

सिंचाई परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भूमि अधिग्रहण एक प्रमुख समस्या बन गयी है. हालांकि सरकार भूमि अधिग्रहण की समस्या को दूर करने के लिए जमीन के नीचे पाइप लाइन बनाने का काम कर रही है, लेकिन कई जगह पर ऐसा करना संभव नहीं है. मौजूदा समय में भूमिगत पाइप लाइन के जरिये लगभग 55290 किलोमीटर लंबे वितरण नेटवर्क का निर्माण किया गया है. इससे लगभग 76594 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण से बचने में मदद मिली है.

सरकार सूक्ष्म सिंचाई को भी बढ़ावा दे रही है. इससे पानी की बर्बादी रोकने में मदद मिलती है और कृषि उत्पादन में भी वृद्धि होती है. इसके लिए एक समर्पित डैशबोर्ड और प्रबंधन सूचना प्रणाली के जरिये परियोजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की निगरानी की जाती है. परियोजना के तहत आने वाले मुद्दों की निगरानी परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) पोर्टल के माध्यम से की जाती है, जिसमें परियोजना में भूमि अधिग्रहण, वैधानिक मंजूरी जैसे मुद्दों और बाधाओं पर नियमित रूप से चर्चा की जाती है और परियोजना को शीघ्र पूरा करने के लिए उनका समाधान किया जाता है.

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