दशकों तक खुद को हैदराबाद में सीमित रखनेवाली पार्टी अब देशभर में अपने आधार विस्तार का प्रयास कर रही है. पार्टी ने महाराष्ट्र और बिहार विधानसभा में अपना खाता खोल लिया है. अब पार्टी की नजर गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा पर है.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी घोषणा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी केरल, असम और जम्मू-कश्मीर को छोड़ कर सभी राज्यों में अपने आधार का विस्तार करेगी. केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, असम में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और जम्मू-कश्मीर में पीडीपी व नेशनल कॉन्फ्रेन्स मुख्य रूप से अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
महाराष्ट्र में साल 2014 के चुनावों के दौरान मुस्लिम-दलित गठबंधन (जय भीम और मुस्लिम) की रणनीति का प्रदर्शन बेहतर रहा. एआईएमआईएम दलितों के लिए काम करनेवाले दलों के साथ गठबंधन करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. महाराष्ट्र में यह प्रकाश आंबेडकर की अगुवाई वाली बहुजन अगाड़ी के साथ गठबंधन था.
बिहार में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में एआईएमआईएम ने उपेंद्र कुशवाहा की लोक समता पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी.
उत्तर प्रदेश में भी एआईएमआईएम ने बीजेपी की पूर्व सहयोगी ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ औपचारिक समझौता किया है. मालूम हो कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी बिहार में भी एआईएमआईएम के गठबंधन का हिस्सा थी.
उत्तर प्रदेश में पार्टी ने पहले ही कई नगरपालिकाओं, जिला परिषदों और ग्राम पंचायतों में सीटें जीत कर अपना खाता खोल चुकी है. गुजरात में छोटू भाई वसावा ने ट्वीट कर भारतीय ट्राइबल पार्टी का एआईएमआईएम के साथ गठबंधन की सूचना दी थी.
एआईएमआईएम प्रमुख पहले ही मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और तमिलनाडु में चुनाव में गठबंधन करने को लेकर पार्टी ने टीमें गठित की है. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने तमिलनाडु में एक सीट पर चुनाव लड़ा था. उम्मीद है कि पार्टी इस बार अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
इस साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होना है. पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाता की संख्या अच्छी खासी है. वे निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं. इसलिए ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन की ओर से करीब दो दर्जन सीटों पर उम्मीदवार खड़ा किये जाने की संभावना जतायी जा रही है.