केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे पर जोरदार हमला किया है. उन्होंने 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से हाथ मिलाकर भाजपा को धोखा देने का आरोप लगाया है. केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के नौ साल पूरे होने के मौके पर भाजपा के संपर्क अभियान के तहत अमित शाह ने नांदेड़ में एक रैली को संबोधित करते हुए उक्त बातें कही.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भाजपा ने पिछले साल ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को नहीं गिराया, बल्कि ठाकरे की नीतियों से थक चुके शिवसैनिक शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ जाने को तैयार नहीं थे. उन्होंने कहा कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में लोगों को यह तय करना है कि देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, नरेंद्र मोदी या कांग्रेस के नेता राहुल गांधी…
भाजपा नेता अमित शाह ने आगे कहा कि भाजपा अध्यक्ष के रूप में मैंने और तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बातचीत की थी, जिसमें ठाकरे सहमत थे कि अगर एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने जीत दर्ज की तो, तो फडणवीस (फिर से) मुख्यमंत्री के पद पर काबिज होंगे. हालांकि, परिणाम (2019 में) के बाद, ठाकरे ने वादा तोड़ दिया और एनसीपी की गोद में बैठ गये. शिवसेना (अविभाजित) और भाजपा ने 2019 का विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर गठबंधन से बाहर हो गयी थी.
अमित शाह ने कहा कि धोखाधड़ी और विश्वासघात का काम उद्धव ठाकरे ने किया था. चुनाव मोदी जी और देवेंद्र जी के नाम पर लड़ा गया और मुख्यमंत्री बनने के लिए वह कांग्रेस की गोद में बैठ गये. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को अपना चुनाव चिह्न धनुष-बाण वापस मिल गया है तथा यह तय हो गया है कि असली शिवसेना कौन है. शाह ने ठाकरे को चुनौती दी कि वह तीन तलाक की प्रथा को समाप्त करने, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, समान नागरिक संहिता लागू करने और मुसलमानों के लिए आरक्षण पर सहमत हैं या नहीं, इस पर अपना रुख स्पष्ट करें. शाह ने हिंदुत्व विचारक दिवंगत विनायक दामोदर सावरकर पर कांग्रेस के रुख को लेकर भी ठाकरे पर निशाना साधा.
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी के साथ रहते हुए ठाकरे औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर, उस्मानाबाद का नाम धाराशिव और अहमदनगर करने का समर्थन नहीं कर सकते. पिछले साल अपनी आखिरी कैबिनेट बैठक में ठाकरे ने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने का फैसला किया था. शाह ने ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि आप दो नावों पर एक साथ खड़े नहीं हो सकते. आप राज्य के लोगों के सामने बेनकाब हो जाएंगे.
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