नए-नए लड़के समझते नहीं हैं, पहले वे इतिहास पढ़ें
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इनको शर्म भी नहीं आती कि आप किसकी बात करते हो. ये नए-नए लड़के आ गए हैं. वे समझते नहीं हैं. वे पहले इतिहास पढ़ें. बोलना सीखें, ताकि कम से कम उनकी छवि खराब नहीं हो. वरना इतिहास पढ़ने वाले लोग उनकी हंसी उड़ाते हैं. इनको कोई ज्ञान तो है नहीं. खरगे रबड़ स्टांप हो जाएंगे, क्या हो जाएंगे रबड़ स्टांप? कल सोनिया गांधी खुद उनके घर गईं.
सोनिया गांधी देश की सबसे सम्मानित नेता
अशोक गहलोत ने कहा कि आज देश में अगर सम्मान पाने वाला कोई नेता है, तो वह सोनिया गांधी हैं. भाजपा नेताओं द्वारा शुरू के 70 साल में देश में हुई प्रगति पर सवाल उठाए जाने पर गहलोत ने कहा कि यह कहना झूठ है कि 70 साल में कुछ नहीं हुआ, क्योंकि जो कुछ हुआ 70 साल में ही हुआ, आजादी के वक्त देश में सुई नहीं बनती थी. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को ये बातें मालूम नहीं हैं, इसलिए ये लोग उसे गुमराह कर रहे हैं.
सत्ता में आने पर रखना चाहिए बड़ा दिन
मुख्यमंत्री गहलोत ने आगे कहा कि सत्ता में आने के बाद में बड़ा दिल रखना चाहिए, नई पीढ़ी को समझाना चाहिए, अच्छी बात बतानी चाहिए, अच्छे संस्कार देने चाहिए और अच्छी परंपरा बनानी चाहिए, लेकिन ये उल्टा चल रहे हैं और वर्तमान पीढ़ी को बिगाड़ रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि वे लोग धर्म और जाति के नाम पर नई पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के बारे में बयानबाजी करने से अच्छा है कि भाजपा अपना घर देखे.
कांग्रेस की पंचायती न करें भाजपा के लोग
गहलोत ने कहा कि भाजपा से कहें अपना घर संभाले, ज्यादा पंचायती करना छोड़ दे. कांग्रेस की पंचायती नहीं करें वे. उनकी इतनी हैसियत नहीं है कि वे पंचायती करें. उन्होंने आरएसएस के कई नेताओं का जिक्र किया, जिन्होंने कथित रूप से स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया और अंग्रेजों के लिए मुखबिरी की. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के त्याग और बलिदान की कहानी तो आजादी से पहले की है.
Also Read: अशोक गहलोत ने पीएम मोदी की गुजरात यात्रा पर कसा तंज, अरविंद केजरीवाल को कहा ‘मोदी का भाई’
प्रतिपक्ष के बिना लोकतंत्र अधूरा
इससे पहले, जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेलों के समापन समारोह में गहलोत ने आलोचना और असहमति को लोकतंत्र का गहना करार दिया. उन्होंने कहा कि सत्ता में रहने वालों को इसे महत्व देना चाहिए. आलोचना और असहमति को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि यह बड़ा जरूरी है, तभी लोकतंत्र मजबूत बनेगा. प्रतिपक्ष नहीं होगा, तो फिर लोकतंत्र कैसे होगा.