Watch Video : जय बदरी विशाल! बद्रीनाथ धाम के दर्शन घर बैठे करें

Watch Video : बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुल गए हैं. इसके बाद चारधाम यात्रा पूर्ण रूप से शुरू हो चुकी है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने श्री बद्रीनाथ धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना की. चमोली जिले में स्थित मंदिर का वीडियो देखें.

By Amitabh Kumar | May 4, 2025 9:06 AM
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Watch Video : उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ मंदिर के कपाट छह माह बंद रहने के बाद रविवार सुबह फिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. इसका वीडियो सामने आया है. वीडियो ड्रोन से लिया गया है जिसे न्यूज एजेंसी एएनआई ने जारी किया है. वीडियो में नजर आ रहा है कि श्रद्धालु पूजा करने के लिए कतार में खड़े हैं. मंदिर को फूलों से अच्छी तरह से सजाया गया है जो काफी आकर्षक लग रहा है. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सुबह छह बजे चमोली जिले में स्थित मंदिर के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधिवत पूजा-अर्चना के साथ देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में खोल दिए गए. देखें वीडियो

15 टन रंग-बिरंगे फूलों से भव्य रूप से सजाया गया मंदिर को

बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के शुभ अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय मौजूद रहे. कपाट खुलते ही ढोल-नगाड़ों, सेना के बैंड की मधुर धुन और श्रद्धालुओं के ‘जय बदरी विशाल’ के जयकारों से वातावरण भक्तिरस में डूब गया. मंदिर को करीब 15 टन रंग-बिरंगे और सुगंधित फूलों से भव्य रूप से सजाया गया, जिससे उसकी शोभा और भी बढ़ गई.

बदरीनाथ धाम में परंपरा के अनुसार सुबह मुख्य पुजारी रावल, धर्माधिकारी और वेदपाठियों ने विशेष पूजा-अर्चना की. फिर माता लक्ष्मी को गर्भ गृह से निकालकर परिक्रमा कराते हुए लक्ष्मी मंदिर में विराजमान किया गया. इसके बाद भगवान कुबेर और उद्धव जी को बदरी विशाल के गर्भ गृह में स्थापित किया गया. तत्पश्चात भगवान बदरी विशाल की चतुर्भुज मूर्ति से घृत कंबल हटाकर विधिवत अभिषेक किया गया और उनका भव्य श्रृंगार कर दर्शन के लिए प्रस्तुत किया गया.

बदरीनाथ धाम मंदिर की क्या है मान्यता

बदरीनाथ धाम के मुख्य मंदिर के साथ परिक्रमा क्षेत्र स्थित गणेश, घंटाकर्ण, आदि केदारेश्वर, आदि गुरु शंकराचार्य और माता मूर्ति मंदिरों के कपाट भी श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं. मान्यता है कि गर्मियों के छह माह मनुष्य भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, जबकि सर्दियों के छह माह देवता स्वयं उनकी आराधना करते हैं, जिसमें मुख्य पुजारी देवर्षि नारद होते हैं.

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