Video: कृष्ण के दिवाने हुए BHU के पूर्व छात्र, अब विदेशियों को भी सिखा रहे कथक नृत्य

Video: हाल ही में BHU के पूर्व छात्र का एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह काशी के गंगा घाट किनारे बांसुरी की धुन पर कथक के अद्भुत मुद्राओं का प्रदर्शन कर रहे हैं.

By Aman Kumar Pandey | October 12, 2024 10:32 AM
an image

Video: आज जहां एक ओर सोशल मीडिया पर लोग अपनी फेमस होने की चाह में अजीबो-गरीब वीडियो वायरल कर रहे हैं, वहीं वाराणसी के होनहार कलाकार आशीष सिंह (नृत्य मंजरी दास) अपनी भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपरा को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं. वे कथक नृत्य की विभिन्न मुद्राओं के वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते रहते हैं. हाल ही में उनका एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह काशी के गंगा घाट किनारे बांसुरी की धुन पर कथक के अद्भुत मुद्राओं का प्रदर्शन कर रहे हैं.

काशी के कथक नर्तक आशीष सिंह को कृष्ण की कथा ने वृंदावन की ओर आकर्षित किया. वहां राधारमण लाल देव जू ने उन्हें वृंदावन से जाने नहीं दिया. देश-विदेश के कई बड़े मंचों पर नृत्य कर चुके आशीष सिंह अब श्री राधारमण को रिझाने में लगे हैं. उनके गुरु ने जब उनकी नृत्य सेवा को देखा, तो वे बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें ‘नृत्य मंजरी दास’ का नाम दिया. तब से आशीष सिंह वृंदावन में ‘कथक नर्तक आशीष सिंह नृत्य मंजरी दास’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए हैं.

इसे भी पढ़ें: Lockdown: 12 से 16 अक्टूबर तक लॉकडाउन, शादी पर रोक, स्कूल-कॉलेज बंद 

आशीष की पहली मुलाकात पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज जी की शिष्या संगीता सिन्हा से हुई. उनका कथक में रुचि बनारस घराने की प्रसिद्ध कथक नर्तकी सरला नारायण सिंह से विकसित हुई, जिन्हें वह अपना आदर्श मानते हैं. इसके बाद, उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत एवं मंच कला संकाय से 2007 से 2012 तक कथक नृत्य में बैचलर और मास्टर की डिग्री प्राप्त की, जिसमें प्रो रंजना श्रीवास्तव और डॉ. विधि नागर ने उन्हें मार्गदर्शन दिया.

आशीष ने पंडित बिरजू महाराज जी से भी कार्यशालाओं के माध्यम से कथक की बारीकियों को सीखा. इसके अलावा, उन्हें भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय छात्रवृत्ति भी प्राप्त हुई. 2010 में, पंडित बिरजू महाराज जी के निर्देशन में, उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स के उद्घाटन समारोह में भी नृत्य प्रस्तुत किया. आशीष अब तक देश के विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी नृत्य प्रस्तुतियाँ दे चुके हैं.

इसे भी पढ़ें: High Court: क्या ससुर की प्रॉपर्टी में भी है दामाद का अधिकार?

आज आशीष वृंदावन में रहकर कथक नृत्य की प्राचीन परंपरा को भारतीय बच्चों के साथ-साथ विदेशी विद्यार्थियों को भी सिखा रहे हैं. वह कथक कार्यशालाओं के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों, जैसे उत्तराखंड के अल्मोड़ा, देहरादून, न्यू टिहरी गढ़वाल, उत्तर प्रदेश के पिहानी हरदोई, राजस्थान के भीलवाड़ा, और महाराष्ट्र के पुणे, नाशिक आदि स्थानों पर जाकर विद्यार्थियों को कथक नृत्य की शिक्षा देते हैं. आशीष को कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें काशी प्रतिभा सम्मान (2002), नवोदित कलाकार सम्मान (2005), बाल रंग मंडल सेतु बाल प्रतिभा सम्मान (2005), सुर गंगा कला निधि सम्मान (2019, न्यू टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड), और बृज श्याम सम्मान (राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ 2023) शामिल हैं.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version