बाइडेन ने भारत सहित 110 देशों को डेमोक्रेसी समिट में किया आमंत्रित, रूस,चीन और तुर्की लिस्ट से बाहर

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दिसंबर में लोकतंत्र के वर्चुअल शिखर सम्मेलन के लिए लगभग 110 देशों को आमंत्रित किया है.हालांकि इस लिस्ट में चीन और तुर्की को शामिल नहीं किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2021 9:41 AM
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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 9-10 दिसंबर को लोकतंत्र के वर्चुअल शिखर सम्मेलन के लिए लगभग 110 देशों को आमंत्रित किया है. इस लिस्ट में भारत और पाकिस्तान सहित प्रमुख पश्चिमी सहयोगियों का नाम है. हालांकि अमेरिका का प्रमुख प्रतिद्वंदी रूस,चीन और तुर्की को आमंत्रण नहीं दिया गया है. हालांकि अमेरिका ने चीन को चिढ़ाने के लिए ताइवान को जरूर आमंत्रण भेजा है. विदेश विभाग की वेबसाइट पर मंगलवार को पोस्ट की गई सूची के अनुसार शिखर सम्मेलन में चीन, तुर्की और रूस को बाहर रखा गया है.

बता दें कि इस शिखर सम्मेलन के लिए ताइवान को शामिल कर बीजिंग को नाराज करने का जोखिम जरुर उठाया गया है. हालांकि चीन के तरफ से अभी तक इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. वहीं, अमेरिका की तरह नाटो का सदस्य तुर्की भी प्रतिभागियों की सूची से गायब है.बात मिडिल ईस्ट के देशों की बात करें इरान को छोड़कर इराक और इजराइल को इस चर्चा में आमंत्रित किया गया है. अमेरिका ने अरब देशों के अपने सहयोगियों मिस्त्र, सऊदी अरब, जॉर्डन, कतर और यूएई को भी लिस्ट में शामिल नहीं किया है.

वहीं, इन सब में रोचक बात ये है कि बाइडेन प्रशासन ने दक्षिणपंथी माने जाने वाले और डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक रहे ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो को भी आमंत्रित किया है वे अक्सर अपने कट्टर फैसलों के कारण आलोचना रहते हैं. हालांकि गौर करने वाली बात ये है कि यूरोपीय देशों से भी कुछ देशों को आमंत्रित नहीं किया गया है. जिसमें हंगरी का नाम शामिल है.

बता दें कि लोकतंत्र पर वर्चुअल समिट करने का निर्णय पिछले साल राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहते हुए जो बाइडेन ने लिया था. उन्होंने भ्रष्टाचार और सत्तावाद से लड़ने और मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने के प्रयासों के लिए एक समान विचारधारा वाले देशों को एक मंच देने का लक्ष्य रखा था. वहीं, रूस, चीन और तुर्की जैसे देशों को इस समिट में आमंत्रित नहीं करने का फैसला इन देशों के तानाशाही सरकार के खिलाफ एक बड़ा कदम माना जा रहा है. हालांकि रूस में पुतिन के खिलाफ जनाक्रोश बढ़ा है.

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